त्योहारों के सीजन में कोरोना के नए मामलों में आई गिरावट और बाजार के कुछ सेगमेंट में डिमांड और सेंटीमेंट में थोड़ी बढ़ोतरी से उम्मीद बंधी है कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार होगा, रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे. एनडीटीवी ने ग़ाज़ियाबाद के बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया के फैक्टरियों का जायज़ा लिया तो आर्थिक माहौल में सुधार को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली.
बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में संजीव सचदेव पिछले 3 दशकों से ज्यादा समय से आटोमेटिक सिस्टम्स का कारोबार कर रहे हैं. एनडीटीवी ने 29 मई 2020 को जब इनकी फैक्ट्री का दौरा किया था उस वक्त कोरोना संकट से पहले के मुकाबले काम 15 % से 20% तक ही शुरू हो पाया था. अब कहते हैं हालात सुधरे हैं और त्योहारों के सीजन में बिज़नेस सेंटीमेंट और बेहतर होने की उम्मीद है.
उनसे पूछा कि 29 मई को हमने देखा था यहां फैक्ट्री में 4 से 5 मज़दूर ही काम कर रहे थे. आज कितना सुधार हुआ है? तो संजीव सचदेव ने NDTV से कहा कि हमारा 70% काम वापस आया है. मज़दूर भी 35 के आसपास काम पर वापस आ चुके हैं... लेकिन अब भी हमारे तैयार सामान के पेमेंट्स की समस्या है. गवर्नमेंट की तरफ से MSME सेक्टर को प्रोडक्ट्स की पेमेंट्स नहीं आ रही है. त्योहारों के सीजन में बाजार में डिमांड में सुधार की उम्मीद है.
बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में तोशी आटोमेटिक सिस्टम्स की फैक्ट्री के ठीक सामने हमें एक फैक्ट्री मिली जो पिछले करीब सात महीने से बंद पड़ी है. बुलंदशहर इंडस्ट्रियल एरिया में कई फैक्टरियां हैं जो नकदी के संकट से लेकर सप्लाई चैन टूटने और डिमांड घटने की समस्या से जूझ रही हैं. इस बंद पड़ी फैक्ट्री में स्कूल बैग्स बनते थे, लेकिन अब ये मार्च से ही बंद पड़ी है. जमशेर, वर्कर, बैग फैक्ट्री, बुलंदशहर ने NDTV से कहा, "स्कूल बंद पड़े हैं, इसीलिए बैग फैक्ट्री भी बंद पड़ी है मार्च से. स्कूल बैग्स की डिमांड ही नहीं है.
जमशेर से बात करते-करते हमें कई मज़दूर मिले जो कोविड संकट से पहले 600 से 650 एक दिन में कमाते थे... अब 250 पर भी काम करने की तैयार हैं, फिर भी हफ्ते में हर रोज़ा काम नहीं मिल पा रहा है. जोउद्दीन, फैक्ट्री वर्कर ने NDTV से कहा, "पहले कोरोना संकट से पहले मालिक 600-650 रुपये में हमें बुलाते थे. तब भी हम उनसे कहते थे कि हमारे पास काम बहुत है. अब कहते हैं 250 रुपये में आ जाओ. अब त्योहारों में कैसे खर्च करेंगे. अब तो महंगाई में दो रुपये बचाने की कोशिश करते हैं. फैक्ट्री वर्कर जाबुल ने कहा, "पहले के मुकाबले अब ज़रा भी काम नहीं है. इतनी कम कमाई है कि घर नहीं भेज पा रहे हैं.
साफ़ है, हालात पूरी तरह सुधरने में काफी लम्बा वक्त लग सकता है. फिलहाल ये वर्कर त्योहारों के इस सीजन में माहौल में सुधार होगा इस उम्मीद के साथ इंतज़ार कर रहे हैं. मई के पहले हफ्ते में लॉकडाऊन हटने के बाद पिछले करीब साढ़े पांच महीने में बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में बिज़नेस सेंटीमेंट सुधरा जरूर है... त्योहारों के सीजन में बाजार में डिमांड में और सुधार की उम्मीद भी है... लेकिन कई उद्योगों में नकदी की समस्या से लेकर सप्लाई चैन टूटने और डिमांड की कमी का संकट अब भी बना हुआ है.