सब्जी और कुछ अन्य खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति मई महीने में बढ़कर 5.76 प्रतिशत पहुंच गई। यह लगातार दूसरा महीना है, जब महंगाई दर बढ़ी है। मुद्रास्फीति में वृद्धि से रिजर्व बैंक के लिये नीतिगत ब्याज दर में कटौती करना कठिन हो सकता है। अप्रैल महीने की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति को संशोधित कर 5.47 प्रतिशत कर दिया गया है। पहले इसके 5.39 प्रतिशत रहने की बात कही गई थी। मई 2015 में यह 5.01 प्रतिशत थी।
सब्जियों की मुद्रास्फीति मई में दोगुनी से अधिक 10.77 प्रतिशत हो गयी, जो इससे पूर्व महीने में 4.82 प्रतिशत थी। इसी प्रकार, अंडे के दाम इसी अवधि में सालाना आधार पर 9.13 प्रतिशत ऊंचे थे जबकि अप्रैल में इनका भाव एक साल पहले की तुलना में 6.64 प्रतिशत ऊंचा था।
आंकड़ों के अनुसार कुल मिलाकर खाद्य मुद्रास्फीति मई में बढ़कर 7.55 प्रतिशत हो गई जो पिछले महीने 6.32 प्रतिशत थी। अनाज एवं संबद्ध उत्पाद, मांस और मछली, दूध तथा उसके उत्पाद एवं फल मई में इससे पूर्व माह की तुलना में महंगी हुई। आंकड़ों के अनुसार ईंधन तथा लाइट खंड में मुद्रास्फीति मई में पिछले महीने के मुकाबले मामूली रूप से कम रही।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय खुदरा मुद्रास्फीति के आकलन के लिये चुनिंदा शहरों तथा गांवों से आंकड़े एकत्रित करता है।
रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मुद्रास्फीति के बढ़ने का जोखिम का हवाला देते हुए द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) में कोई बदलाव नहीं किया।
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