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गत सप्ताह दो फीसदी लुढ़के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक

देश के शेयर बाजारों में गत सप्ताह छोटे और मझोले शेयरों के सूचकांक बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में मुख्य सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी से अधिक लगभग दो फीसदी गिरावट रही।
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NDTV Profit हिंदी02:35 PM IST, 12 Jan 2013NDTV Profit हिंदी
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देश के शेयर बाजारों में गत सप्ताह छोटे और मझोले शेयरों के सूचकांक बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में मुख्य सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी से अधिक लगभग दो फीसदी गिरावट रही।

बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स गत सप्ताह 0.61 फीसदी या 120.44 अंकों की गिरावट के साथ 19,663.64 पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 1.08 फीसदी या 64.85 अंकों की गिरावट के साथ शुक्रवार को 5,951.30 पर बंद हुआ।

आलोच्य अवधि में बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में दो फीसदी से अधिक गिरावट रही। मिडकैप 2.15 फीसदी या 157.24 अंकों की गिरावट के साथ 7156.88 पर और स्मॉलकैप 2.11 फीसदी या 160.84 अंकों की गिरावट के साथ 7,454.76 पर बंद हुआ। आलोच्य अवधि में सेंसेक्स के 30 में से 10 शेयरों में तेजी और शेष में गिरावट रही।

तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे इंफोसिस (15.51 फीसदी), टाटा मोटर्स (4.71 फीसदी), विप्रो (4.03 फीसदी), ओएनजीसी (2.55 फीसदी) और मारुति सुजुकी (1.42 फीसदी)। इसी अवधि में सेंसेक्स में गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे हिदुस्तान युनिलीवर (6.60 फीसदी), भेल (6.29 फीसदी), एलएंडटी (5.91 फीसदी), जिंदल स्टील (5.66 फीसदी) और हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (4.15 फीसदी)। गत सप्ताह बीएसई के 13 में से तीन सेक्टरों सूचना प्रौद्योगिकी (7.82 फीसदी), प्रौद्योगिकी (5.63 फीसदी) और वाहन (0.36 फीसदी) में तेजी और शेष में गिरावट दर्ज की गई।

गिरावट दर्ज करने वाले सेक्टरों में प्रमुख रहे पूंजीगत वस्तु (5.01 फीसदी), उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (4.23 फीसदी), तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु (3.72 फीसदी), बिजली (3.19 फीसदी), धातु (3.12 फीसदी)। गत सप्ताह के प्रमुख घटनाक्रमों में केंद्र सरकर ने सोमवार को इस माह के दूसरे पखवाड़े में तेल वितरण कंपनी ऑयल इंडिया में अपनी 10 फीसदी हिस्सेदारी और फरवरी में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) में भी 9.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के फैसले की घोषणा की।

ऑयल इंडिया में मौजूदा बाजार भाव पर 10 फीसदी बेचकर सरकार 2,700 करोड़ रुपये जुटा सकती है, जबकि एनटीपीसी में 9.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर सरकार 12 हजार करोड़ रुपये जुटा सकती है। मौजूदा कारोबारी साल में सरकार ने विनिवेश से 30 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। अब तक सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री से सरकार ने सिर्फ 6,900 करोड़ रुपये ही जुटाए हैं। सरकार ने विनिवेश के लिए 10 कंपनियों की पहचान की है, जिनमें ऑयल इंडिया, सेल और हिंदुस्तान एरॉनॉटिक्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में 10-10 फीसदी विनिवेश की योजना है।

सरकार नाल्को में भी 12.15 फीसदी, और खनिज और धातु व्यापार निगम (एमएमटीसी) में 9.33 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी बैंकों में 12,517 करोड़ रुपये की नई पूंजी डालने की मंजूरी दे दी। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) के मुताबिक इस कदम से बैंकों को न्यूनतम टियर-1 पूंजी को बैसल-3 मानकों के मुताबिक सुविधाजनक स्तर पर बनाए रखने में मदद मिलेगी। सीसीईए की बैठक के बाद वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि लगभग 9 से 10 बैंकों में पूंजी डाली जा सकती है।

गुरुवार को ही आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने मौजूदा कारोबारी साल में इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) में सरकार की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दे दी। इससे सरकार को 800 करोड़ रुपये हासिल हो सकता है। हिस्सेदारी अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) के जरिए बेची जाएगी। ईआईएल में अभी सरकार की 80.40 फीसदी हिस्सेदारी है। विनिवेश के बाद सरकार की हिस्सेदारी घटकर 70.40 फीसदी रह जाएगी। ईआईएल केंद्र सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत एक मिनी-रत्न कम्पनी है।

शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़े के मुताबिक देश का निर्यात दिसम्बर माह में 1.92 फीसदी घटकर 24.87 अरब डॉलर रहा। यह लगातार आठवें महीने की गिरावट है। दिसम्बर 2011 में निर्यात 25.3 अरब डॉलर रहा था। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा यहां जारी आंकड़े के मुताबिक आयात हालांकि आलोच्य अवधि में 6.26 फीसदी बढ़कर 42.54 अरब डॉलर रहा, जिसके कारण देश को 17.67 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ।

मौजूदा कारोबारी साल में दिसम्बर महीने तक कुल निर्यात पिछले कारोबारी साल की समान अवधि में दर्ज 226.55 अरब डॉलर से 5.5 फीसदी गिरावट के साथ 214.09 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात इसी अवधि में 0.71 फीसदी घटकर 361.2 अरब डॉलर रहा। शुक्रवार को ही जारी एक अन्य सरकारी आंकड़े के मुताबिक देश का औद्योगिक उत्पादन नवम्बर, 2012 में साल दर साल आधार पर 0.1 फीसदी कम दर्ज किया गया।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक इस गिरावट में विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्र में उत्पादन में गिरावट का प्रमुख योगदान रहा। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर आधारित औद्योगिक उत्पादन विकास दर नवम्बर 2011 में छह फीसदी थी। अक्टूबर 2012 में यह 8.2 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी। ताजा आंकड़े का असर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस माह के आखिर में तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा पर पड़ सकता है।

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