डीजल के मामले में मोदी सरकार भी यूपीए सरकार की ही राह पर चलेगी। सूत्रों की मानें तो सरकार ने डीजल के दाम बाजार के हवाले रखे जाना ही तय किया है। सरकार की नीति यह भी है कि इस साल के आखिर तक डीजल पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म कर दिया जाए।
मनमोहन सरकार के दौरान जनवरी 2013 से डीजल को बाजार के हवाले कर दिया गया था और अब डीजल के दाम हर 15 दिन बाद अंतराष्ट्रीय कीमतों के मुताबिक तय होते हैं। जनवरी 2013 से डीजल के दामों में हर महीने 45 से 50 पैसे की बढ़ोतरी हुई है। जनवरी 2013 से पहले एक लिटर डीजल पर तेल कंपनियों को 13 रुपये का घाटा था जो कि अब घटकर 2 रुपये 80 पैसे प्रति लिटर रह गया है हालांकि सरकार ने कैरोसिन और एलपीजी पर दी जाने वाली सब्सिडी को जारी रखने का फैसला किया है।