भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष पुन: फिसल कर उदारीकरण के पूर्व के निम्न वृद्धि दर के दौर में फंसने का खतरा मंडरा रहा है जिसे ‘हिंदू वृद्धि दर’ भी कहा जाता है।
वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनले की एक रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि यदि कमजोर वृद्धि का यह रख चार-पांच तिमाहियों तक और जारी रहता है, तो अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटकर 3.5 से चार प्रतिशत पर आ सकती है।
मॉर्गन स्टेनले एशिया के मुख्य अर्थशास्त्री चेतन अहया की रिपोर्ट में चेताया गया है कि हाल के मौद्रिक रुख को कड़ा करने के उपायों तथा वैश्विक पूंजी बाजार में अनिश्चितता का मतलब है कि वृद्धि दर अभी कम से कम दो तिमाहियों में निचले स्तर पर रहेगी। ‘‘यदि गिरावट का यह रुख चार-पांच तिमाहियों तक जारी रहता है, तो अर्थव्यस्था और कमजोर होगी और इससे सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 3.5 से 4 फीसद पर आने का जोखिम बनेगा।’’
इसमें यह भी कहा गया है कि दिसंबर, 2012 तथा मार्च, 2013 की तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर पांच प्रतिशत से कम रही है और इसमें चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है।