सार्वजनिक क्षेत्र की घाटे में चल रही दूरसंचार कंपनी एमटीएनएल को अपने बोझ को कम करने के लिए अपनी सरप्लस जमीन को बेचना पड़ सकता है. कंपनी ने अधिशेष जमीन बेचने के प्रस्ताव के साथ सरकार से संपर्क किया है. कंपनी इसके जरिये अपने कर्ज के बोझ को कम करना चाहती है. इस साल फरवरी में दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने राज्यसभा को बताया था कि कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है और उसे अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है.
एमटीएनएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक पी के पुरवार ने कहा, ‘‘हमारे पास ऐसा रीयल एस्टेट है जिसका दक्ष तरीके से इस्तेमाल नहीं हुआ है. ऐसे में हमने यह प्रस्ताव दिया है कि हम अपने कुछ रीयल एस्टेट का पुन: विकास करना चाहते हैं, जमीन और इमारत बेचना चाहते हैं. इस राशि का इस्तेमाल कर्ज घटाने के लिए किया जा सकता है.’’
31 दिसंबर, 2016 के अंत तक एमटीएनएल पर कुल 19,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था. एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में लैंडलाइन और मोबाइल टेलीफोनी सेवाएं देती है. पुरवार ने बताया कि 3,000 से 5,000 करोड़ रुपये ही जमीन की पहली किस्त मौद्रीकरण के लिए तैयार है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि कंपनी के पास मौजूद संपत्तियों का कुल मूल्य कितना है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार हमें अनुमति देगी और बाजार अनुकूल होगा तो एमटीएनएल के पास संसाधन जुटाने की क्षमता है.
(न्यूज एजेंसी भाषा से इनपुट)