यूपीए सरकार द्वारा शुरू किया गया महत्वाकांक्षी मनरेगा कार्यक्रम देश भर में चालू रहेगा। नए ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने इसे सिर्फ 200 पिछड़े जिलों में सीमित करने की किसी योजना से इनकार किया है।
ग्रामीण विकास, पंचायती राज और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालयों का पदभार संभालने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए बीरेंद्र सिंह ने कहा कि ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम के लिए 40,000 करोड़ रुपये का आवंटन किसी खास क्षेत्र के लिए नहीं है।
उन्होंने कहा, इस देश में ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने 500 रुपये का नोट कभी नहीं देखा था। निर्धन से निर्धनतम व्यक्ति तक हम मनरेगा के माध्यम से पहुंच पाए। वह अपने पूर्ववर्ती नितिन गडकरी द्वारा इसे देश के सर्वाधिक पिछड़े 200 जिलों तक सीमित करने की योजना के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
बीरेंद्र सिंह ने कहा, ये 40,000 करोड़ रुपये देश के लिए हैं, न कि किसी खास क्षेत्र के लिए। हालांकि उन्होंने माना कि यूपीए द्वारा शुरू की गई इस महत्वाकांक्षी योजना में कुछ समस्याएं हैं और वर्तमान शासन उसमें सुधार करेगा। उन्होंने कहा, जहां तक मनरेगा की कार्यपद्धति का सवाल है, यदि उसमें कोई खामी है, तो उसे हम ठीक करेंगे।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम में सुधार के बारे में अहम सुझाव आए हैं और मनरेगा के जरिये रोजगार सृजन एवं स्थायी परिसंपत्ति के निर्माण के बीच एक संतुलन कायम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी, तो इस कार्यक्रम में कुछ नए काम जोड़े जाएंगे।
ग्रामीण विकास मंत्री रहने के दौरान गडकरी ने संकेत दिया था कि सरकार इस योजना को आदिवासी एवं पिछड़े जिलों तक सीमित कर सकती है। गौरतलब है कि 2005 में शुरू किया गया मनरेगा लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए आय का एक अहम स्रोत है।