बाजार नियामक सेबी नए मनी लांड्रिंग निरोधी निदेशानिर्देशों को अंतिम रूप दे रहा है। इसका मकसद पूंजी बाजार के जरिये काले धन को वैध बनाने के संभावित उपायों पर रोक लगाना है। इसके दायरे में ब्रोकर तथा म्यूचुअल फंड जैसी इकाइयां आएंगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगले कुछ सप्ताह में तैयार होने वाला दिशानिर्देश सेबी के मौजूदा एएमएल-सीएफटी (एंटी मनी लांड्रिंग एंड काम्बैटिंग द फाइनेंसिंग आफ टेरोरिज्म) का स्थान लेगा। मौजूदा कानून करीब 10 साल पहले बना था और पिछली बार इसे 2010 में बड़े पैमाने पर संशोधित किया गया था। सेबी का मानना है कि हालांकि किसी संभावित मनी लांड्रिंग या आतंकवाद के लिए वित्त पोषण संबंधी गतिविधियों को रोकने के लिए पहले से व्यवस्था स्थापित है लेकिन इस मोर्चे पर बाजार नियामक तथा सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के आधार पर इसे मजबूत बनाने की जरूरत है।
इसके अलावा प्रौद्योगिकी के कारण जो नई चुनौतियां सामने आई हैं, उससे निपटने तथा एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) जैसे वैश्विक संगठनों द्वारा निर्धारित नए मानकों के अनुरूप इसे तैयार करने के लिए इस प्रकार का कदम उठाना जरूरी है।
सेबी दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने से पहले अन्य देशों के अपने समकक्ष निमायकों से भी सलाह ले सकता है।