जीएसटी परिषद की बैठक के पहले दिन अहम मसले यानी विभिन्न मदों में टैक्स की दरों पर कोई सहमति नहीं बन पाई. उल्लेखनीय है कि सरकार अप्रैल, 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करना चाहती है. इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय ने चार टैक्स स्लैब का प्रस्ताव दिया.
उनमें से 20-25 प्रतिशत टैक्स वाले सामानों के लिए अधिकतम दरें 26 प्रतिशत रखने का सुझाव दिया गया है. इसके अलावा खाद्य एवं एफएमसीजी उत्पादों के लिए 12 प्रतिशत एवं सोना जैसी महंगी धातुओं और आवश्यक वस्तुओं के लिए छह प्रतिशत की टैक्स स्लैब रखने का प्रस्ताव है.
इस संबंध में केरल के वित्त मंत्री डॉ थॉमस इसाक ने ट्वीट किया, ''आशंका सही साबित हुई. जीएसटी कठोर साबित होगा. लक्जरी की श्रेणी में आने वाले मदों पर टैक्स घटकर 26 प्रतिशत होगा और आवश्यक वस्तुओं पर यह 12 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा.''
गौरतलब है कि जीएसटी को देश का सबसे बड़ा कर सुधार माना जा रहा है. यह राज्यों और केंद्र के करों के जाल की जगह लेगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली इसी सिलसिले में जीएसटी परिषद की तीन दिनों की बैठक में राज्य सरकारों के साथ बातचीत कर करों की दरों के मसले पर सहमति चाहते हैं ताकि अगले महीने जब संसद सत्र की शुरुआत हो तो उन प्रस्तावित दरों को सदन के समक्ष पेश किया जा सके.
इस मसले पर अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा, ''केंद्र और राज्य सरकारों के पास अपने कार्यों के लिए टैक्स देने वालों पर बोझ नहीं डालते हुए पर्याप्त राजस्व की व्यवस्था होनी चाहिए.''
जीएसटी परिषद एक निर्णायक बॉडी है और केंद्रीय वित्त मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्रियों को मिलाकर इसका गठन किया गया है. पिछले महीने परिषद ने सेल्स टैक्स के कामकाज के तरीके और इसके संग्रह से संबंधित ड्राफ्ट नियम पर सहमति प्रदान की थी.