सरकार ने बिल्डरों को किफायती मकान खरीदारों से जीएसटी वसूलने से मना किया है. सभी सस्ती आवासीय परियोजनाओं पर प्रभावी जीएसटी दर 8 प्रतिशत है. इसे ‘इनपुट क्रेडिट’ के जरिये समायोजित किया जा सकता है. सरकार ने यह भी कहा कि बिल्डर अगर कच्चे माल पर क्रेडिट दावा को शामिल करने के बाद मकान के दाम घटाते हैं, तभी वे सस्ते आवास वाली परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने वालों से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) वसूल सकते हैं.
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जीएसटी परिषद ने 18 जनवरी को अपनी अंतिम बैठक में ‘क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी’ योजना (सीएलएसएस) के तहत मकानों के निर्माण के लिये रियायती दर से 12 प्रतिशत जीएसटी लगाने की बात कही. इसका मकसद सस्ते मकान को बढ़ावा देना है जिसे 2017-18 के बजट में बुनियादी ढांचा का दर्जा दिया गया है.
हालांकि मकान, फ्लैट के लिये ली जाने वाली राशि में से तिहाई जमीन की लागत घटाने से प्रभावी जीएसटी दर 8 प्रतिशत पर आ गयी है. यह प्रावधान 25 जनवरी से प्रभाव में आ गया है.
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वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘फ्लैट, आवास आदि के निर्माण के लिये इस्तेमाल सभी कच्चा माल तथा पूंजीगत सामान पर जीएसटी 18 प्रतिशत या 28 प्रतिशत लगता है. इसके विपरीत सस्ते खंड में आने वाली सभी आवासीय परियोजनाओं पर 8 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.’’ बयान के अनुसार, ‘‘इसके परिणामस्वरूप बिल्डर या डेवलपर को फ्लैट आदि के निर्माण सेवा पर नकद जीएसटी देने की जरूरत नहीं होगी लेकिन उनके पास पर्याप्त ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ होगा जिससे वह मूल्य वर्द्धन पर जीएसटी देना होगा.’’ मंत्रालय ने कहा कि बिल्डरों को खरीदारों से फ्लैट पर भुगतान योग्य कोई जीएसटी नहीं वसूलना चाहिए.
इनपुट- भाषा