1 अप्रैल से दिल्ली के लोगों को बिजली के बिलों में कोई राहत नहीं मिलेगी। 31 मार्च के बाद बिजली के बिल पर दी जानेवाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी। संसद में पास हुए लेखानुदान मांगों में दिल्ली में 31 मार्च के बाद बिजली पर सब्सिडी देने का प्रावधान नहीं किया गया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि उन्होंने बजट में इस बात का प्रस्ताव रखा था कि सितंबर तक बिजली सब्सिडी दी जाए, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस ने इसको दरकिनार करके संसद में बजट पास करवा दिया। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कांग्रेस और बीजेपी पर आरोप मढ़ते हुए कहा कि इन दोनों पार्टियों की बिजली कंपनियों से साठगांठ है, जिसकी वजह से जनता परेशान है।
वहीं दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष हर्षवर्धन का कहना है कि केजरीवाल की 49 दिनों की सरकार ने जनता को ठगा है। कांग्रेस नेता जेपी अग्रवाल ने केजरीवाल को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्होंने सभी उपभोक्ताओं के बिजली बिल आधे करने की बात कही थी, लेकिन बाद में उसमें कई शर्तें जोड़कर जनता के साथ छल किया है।
दिल्ली के अगले वित्तवर्ष के छह महीने के लिए 18,033 करोड़ रुपये की लेखानुदान मांगों को शुक्रवार को संसद की मंजूरी मिल गई। दिल्ली में राष्ट्रपति शासन के मद्देनजर संसद में पारित इस बजट में अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा घोषित सब्सिडी का प्रावधान नहीं किया गया है। संसद के दोनों सदनों ने दिल्ली विनियोग एवं लेखानुदान मांगों को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने से पहले दिल्ली विधानसभा में 2014-15 के लिए बजट पारित नहीं किया जा सका। केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया, इसलिए उक्त दोनों विधेयकों को पारित कराने के लिए संसद की मंजूरी अनिवार्य थी।
वित्त राज्यमंत्री नमो नारायण मीणा ने ऊपरी सदन में यह विधेयक पेश करते हुए कहा, दिल्ली के लिए 2014-15 का बजट पेश किया जा रहा है, जिसमें राज्य सरकार के छह माह के खर्चों को पूरा करने के लिए लेखानुदान मांगा गया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि केजरीवाल सरकार ने जिन सब्सिडियों की घोषणा की थी, उनके लिए नए बजट में कोई आवंटन नहीं किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में अभी चुनी हुई सरकार नहीं है और यहां राष्ट्रपति शासन लागू है, इसलिए लेखानुदान पास कराने का अर्थ सिर्फ सरकारी कामों को जारी रखने के लिए रकम की निकासी करना है। बिजली या किसी अन्य मद में छूट देने का अधिकार चुनी हुई सरकार का होता है, इसलिए जब दिल्ली में नई सरकार का गठन होगा, तभी वह यह तय करेगी कि सब्सिडी की सुविधा दी जाए या नहीं।
(इनपुट भाषा से भी)