जीडीपी विकास दर को लेकर आए बिल्कुल ताज़ा आंकड़े इशारा कर रहे हैं कि जीडीपी पर नोटबंदी का असर ज़्यादा नहीं पड़ा है. बेशक, अर्थव्यवस्था की रफ़्तार धीमी पड़ी है. फिर भी 2016-17 के लिए अनुमानित विकास दर 7.1% है. बीते साल ये दर 7.9% थी. देश की अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का मामूली प्रभाव देखने को मिला है और दिसंबर में समाप्त मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर सात फीसदी रही. मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दूसरी तिमाही में विकास दर 7.3 फीसदी थी. तीसरी तिमाही की जीडीपी 30.28 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान (सीएसओ) ने ये आंकड़े जारी किए.
8 नवंबर को जब प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान किया, तब ये माना गया कि अर्थव्यवस्था पर इसका असर काफ़ी बड़ा हो सकता है. लेकिन भारत सरकार के आंकड़े बता रहे हैं कि गिरावट वैसी नहीं है जिसका अंदेशा था. चीफ स्टेटिशियन टीसीए अन्नत द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक साल 2016-17 की तीसरी तिमाही में- यानी अक्टूबर से दिसंबर 2016 के बीच विकास दर 7 फ़ीसदी रहने की उम्मीद है. इस पूरे साल की अनुमानित विकास दर 7.1 फ़ीसदी बताई जा रही है. जबकि साल 2015-16 में ये दर 7.9% थी.
ख़ास बात ये है कि खेती में बढ़ोतरी अच्छी ख़ासी है, हालांकि माइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट है. 2016-17 में खेती की अनुमानित विकास दर बीते साल के 0.8% से बढ़कर 4.4% हो गई है. हालांकि मैन्युफैक्चरिंग में 10.6% की विकास दर इस साल 7.7% रहने का अनुमान है. कंस्ट्रक्शन में भी मामूली बढ़ोतरी है- 2.8% से बढ़कर 3.1%. नोटबंदी के ऐलान के बाद कई अर्थशास्त्री ये कहते रहे कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आ सकती है. ये कहा गया कि नोटबंदी का सबसे बुरा असर कृषि और कंस्ट्रक्शन सेक्टरों पर पड़ेगा लेकिन तीसरी तिमाही के ताज़ा आंकड़े साफ तौर पर सरकार के लिए राहत की खबर हैं.
सीएसओ ने कहा, 'चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी वृद्धि का अग्रिम अनुमान 7.1 प्रतिशत है. इससे पहले भी वर्ष के दौरान वृद्धि दर का यही अनुमान जारी किया गया था. सीएसओ के अनुसार वर्ष 2016-17 में कृषि और संबंधित क्षेत्र की वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 0.8 प्रतिशत ऊंची रहेगी. आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, कि जीडीपी के ताजा आंकड़ों ने नोटबंदी की ‘नकारात्मक अटकलों’ को खारिज कर दिया.