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अब आपको मिलने वाली ग्रैच्युटी भी बन सकती है सीटीसी का हिस्सा, कम हो सकती है 'टेक होम सैलरी'

दरअसल, दैनिक समाचारपत्र 'नवभारत टाइम्स' में प्रकाशित ख़बर के अनुसार, श्रम मंत्रालय द्वारा सोशल सिक्योरिटी कोड के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट प्रपोज़ल में ग्रैच्युटी फंड बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जिसके तहत कर्मचारी के मूल वेतन का दो फीसदी हिस्सा नियोक्ता ग्रैच्युटी फंड में डाला जाएगा...
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NDTV Profit हिंदी02:06 PM IST, 23 Mar 2017NDTV Profit हिंदी
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नौकरीपेशा लोग ग्रैच्युटी शब्द से अपरिचित नहीं हैं, और आज के युग में, जहां प्राइवेट कंपनियों में वेतन के बजाय सीटीसी (कॉस्ट टु द कंपनी) के हिसाब से भर्तियां होती हैं, ग्रैच्युटी ही एकमात्र ऐसी रकम है, जो कर्मचारी को नियोक्ता की तरफ से तोहफे के रूप में मिलती है... लेकिन अब मिल रही ख़बरों के मुताबिक अगर श्रम मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट प्रपोज़ल को मंज़ूरी मिल गई, तो ग्रैच्युटी भी आपके सीटीसी का हिस्सा बन सकती है, जिससे आपकी 'टेक होम सैलरी' घट जाएगी...

दरअसल, दैनिक समाचारपत्र 'नवभारत टाइम्स' में प्रकाशित ख़बर के अनुसार, श्रम मंत्रालय द्वारा सोशल सिक्योरिटी कोड के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट प्रपोज़ल में ग्रैच्युटी फंड बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जिसके तहत कर्मचारी के मूल वेतन का दो फीसदी हिस्सा नियोक्ता ग्रैच्युटी फंड में डाला जाएगा... यदि यह प्रस्ताव मंज़ूर हो जाता है, तो ज़ाहिर है, पीएफ में दिए जाने वाले अंशदान की तरह इसे भी नियोक्ता आपके सीटीसी का ही हिस्सा मानेगा, और आपकी 'टेक होम सैलरी' घट जाएगी...

मौजूदा व्यवस्था में कम से कम 10 कर्मियों वाली कंपनियों पर ग्रैच्युटी का नियम लागू होता है, जिसके तहत नियोक्ता को कम से कम पांच साल की नौकरी करने वाले प्रत्येक कर्मचारी को प्रत्येक संपूर्ण वर्ष के लिए 15 दिन का वेतन देना होता है... ग्रैच्युटी दरअसल नियोक्ता की तरफ से पांच साल की सेवाएं देने के लिए आभार व्यक्त करने का प्रतीक है, और इसका आकलन मूल वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर किया जाता है, अन्य भत्तों को नहीं...

समाचारपत्र के मुताबिक, श्रम मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि यह प्रस्ताव फिलहाल आरंभिक स्तर पर ही है, और इस पर ट्रेड यूनियनों से बातचीत की जानी बाकी है... जब इस प्रस्ताव पर ट्रेड यूनियनों के साथ सहमति बन जाएगी, तभी इसे लागू किया जाएगा... गौरतलब है कि ट्रेड यूनियनें ग्रैच्युटी के लिए पांच साल की सेवा की शर्त में ढील दिए जाने, यानी उस अवधि को घटाए जाने, और कम से कम 10 कर्मचारियों वाली कंपनियों पर ही इसे लागू करने की शर्त को खत्म करने की मांग करती रही हैं...

इसके अलावा एक अन्य प्रस्ताव के तहत प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए 20 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी की रकम को करमुक्त, यानी टैक्स फ्री करने का प्रस्ताव भी है, जिसे सरकार की मंज़ूरी मिलनी बाकी है... यह सीमा अब तक 10 लाख रुपये थी, यानी अब तक सिर्फ 10 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी पर ही टैक्स नहीं लगता है...

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