ऐप आधारित टैक्सी सेवा देने वाली दो प्रमुख कंपनी ओला (Ola) और उबर (Uber) से जुड़े एक लाख से अधिक ड्राइवर मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए.
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उन्हें बेहतर प्रोत्साहन मिले साथ ही ऐप के साथ नयी टैक्सियों को जोड़ना रोका जाए क्योंकि इससे उनकी बुकिंग (आमदनी) प्रभावित होती है. इनमें से कुछ ने यहां उबर के कार्यालय में तोड़-फोड़ भी की है.
उबर, टैक्सी फॉर श्योर (Taxi4sure) एवं ओला (यूटीओ) ड्राइवर्स एंड ओनर्स संघ के अध्यक्ष तनवीर पाशा ने कहा, ‘‘ओला और उबर से जुड़े एक लाख से अधिक ड्राइवर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. उनकी मांग है कि उन्हें बेहतर प्रोत्साहन मिले साथ ही ऐप के साथ नयी टैक्सियों का जोड़ना रोका जाए क्योंकि इससे उनकी बुकिंग प्रभावित होती है.’’
पाशा ने कहा कि सोमवार रात राज्य परिवहन आयुक्त और कंपनियों के साथ वार्ता विफल रहने के बाद संघ की बैठक में हड़ताल पर जाने का निर्णय किया गया. पुलिस के अनुसार यहां एचएसआर लेआउट में स्थित उबर के कार्यालय में प्रदर्शनकारियों ने तोड़-फोड़ भी की है. उन्होंने कार्यालय के कुछ उपकरण और फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया है.
इस घटना के सवाल पर पाशा ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर चुप है जिसकी वजह से ‘ड्राइवरों का संयम खो रहा है जिसकी वजह से उबर के कार्यालय पर तोड़-फोड़ हुई है. पाशा ने कहा कि मौजूदा दुविधा के लिए सरकार और कंपनियां दोनों जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को कर्नाटक ऑन-डिमांड ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजी एग्रीग्रेटर रूल्स-2016 के प्रावधानों का कंपनियों से पालन कराना चाहिए.’’
पाशा ने कहा कि इन नियमों के अनुसार वातानुकूलित टैक्सी का किराया 19.50 रुपये प्रति किलोमीटर और गैर-वातानुकूलित टैक्सी का किराया 14.50 रुपये प्रति किलोमीटर तय किया गया है लेकिन ड्राइवरों को अभी चार से पांच रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान मिल रहा है जो सरासर शोषण है.