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क्या आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं? चेत जाइए! खतरे हैं इस राह में...

क्या आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं? इंटरनेट का यूज करने वाले उन लोगों ने ऑनलाइन का सबसे पहले रुख किया होगा जो समय की कमी से जूझ रहे थे और भारी डिस्काउंट्स के प्रति आकर्षित थे. मगर आज यह काफी हद तक आम जन की जरूरत में तब्दील होता जा रहा तो इसकी वजह है वर्तमान में लोगों का व्यस्त लाइफस्टाइल.
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NDTV Profit हिंदी11:43 AM IST, 14 Jun 2017NDTV Profit हिंदी
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क्या आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं? इंटरनेट का यूज करने वाले उन लोगों ने ऑनलाइन का सबसे पहले रुख किया होगा जो समय की कमी से जूझ रहे थे और भारी डिस्काउंट्स के प्रति आकर्षित थे. मगर आज यह काफी हद तक आम जन की जरूरत में तब्दील होता जा रहा तो इसकी वजह है वर्तमान में लोगों का व्यस्त लाइफस्टाइल.

वैसे भी खरीददारी को प्रौद्योगिकी ने इतना आसान कर दिया कि सब्जी से लेकर एयरकंडीशनर तक हम घर बैठे कम्प्यूटर पर बस एक क्लिक कर खरीद सकते हैं। इससे न सिर्फ हमारा समय बच रहा है, बल्कि बेकार की परेशानियों से भी निजात मिल गई है.

मगर आइए जानें कि इस राह में किन बातों को लेकर सतर्क रहना चाहिए और किन चीजों के बारे में आपको पता होना चाहिए : 

- जाने माने अर्थशास्त्री सुब्रो कमल दत्ता के मुताबिक, जिस तरह बाजार में पॉकेटमारों का डर होता है, ऑनलाइन शॉपिंग में ही कुछ ऐसे ही खतरे होते हैं, लेकिन जाहिर तौर पर उनके तरीके अलग होते हैं. उन्होंने कहा, ऑनलाइन शॉपिंग में आप तब तक महफूज हैं, जब तक आप अनजान लोगों को अपने कार्ड या खाते से संबंधित जानकारियां साझा नहीं करते.

- उनके मुताबिक, अभी हाल में आपने दुनिया भर में मैलवेयर हमले के बारे में सुना होगा, जिसमें करोड़ों कम्प्यूटरों की जानकारियां चुरा ली गईं लेकिन इस हमले के शिकार अधिकांशत: वही कम्प्यूटर हुए, जिनके ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट नहीं थे. मैलवेयर द्वारा होने वाले अधिकांश साइबर हमले इंटरनेट पर स्वत: ही उपलब्ध होने वाले सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से होते हैं. प्राय: वे ही लोग हैकिंग का शिकार होते हैं, जो अपने कम्प्यूटर सिस्टम के एंटीवायरस और ऑपरेटिंग सिस्टम को समय-समय पर अपडेट नहीं करते हैं.

- एसोचैम के एक अनुमान के मुताबिक, 2017 के अंत तक ऑनलाइन उपभोक्ताओं का आंकड़ा 10 करोड़ पार कर जाने की उम्मीद है, जबकि साल 2016 में 6.9 करोड़ लोगों ने ऑनलाइन खरीदारी की.

- अब इसे क्रेज कहें या वक्त की जरूरत, कंपनियां भी अपने एक्सलूसिव उत्पादों को लॉन्च करने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही हैं. इससे उत्पाद का दाम कम रखने में उन्हें सहायता मिल रही है, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, जिसका लाभ अंतत: ग्राहकों को मिल रहा है. कई उत्पादों को तो केवल ऑनलाइन ही खरीदा जा सकता है, क्योंकि कुछ कंपनियां अपने उत्पाद रिटेल शॉप में नहीं बेचतीं, तो लब्बोलुबाब यही है कि आपको चाहे अनचाहे ऑनलाइन शॉपिंग करने की ओर अग्रसर होते हैं.

- अर्थशास्त्री ने कहा, स्पैम मेल के माध्यम से भी आपकी निजी जानकारियों की चोरी होने की संभावना होती है. कहीं भी खरीदारी करने से पहले यह सुनिश्चित कर लीजिए कि आप किसी ऐसे लिंक्स पर क्लिक तो नहीं कर रहे हैं, जो आपको बिना किसी कारण के अवांछित ई-मेल भेजते हैं या लिंक्स पर जाने के बाद आपको चकित कर देने वाले आकर्षक ऑफर तो नहीं मिल रहें हैं. अक्सर ये हमें भ्रमित कर हमारी जानकारियां चुराने का माध्यम बन जाते हैं. किसी भी लिंक पर जाने से पहले उसकी शर्तो को पढ़ लें और बिना मतलब के लिंक को विजिट न करें.

-ऑनलाइन शॉपिंग करने के बाद निश्चिंत हो जाना आपको कभी-कभी महंगा पड़ सकता है, इसलिए जरूरत है कि आप अपने बैंक स्टेटमेंट की वक्त-वक्त पर जांच करते रहें. 

-इस बारे में दत्ता ने कहा, समय-समय पर अपने बैंक स्टेटमेंट की जांच करते रहें. अगर आपको जांच के दौरान किसी भी अनियमित गतिविधि या अज्ञात वित्तीय व्यवहार के संकेत मिले, तो बिना कोई देर किए तुरंत इसकी रिपोर्ट कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए.

- उन्होंने कहा, ऑनलाइन शॉपिंग के लिए हमें यथासंभव प्रयास करना चाहिए कि एक ही कार्ड का प्रयोग करें, ताकि खाता चेक करते समय दिक्कतों का सामना न करना पड़े और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होने पर तुरंत पता चल जाए.

- अगर आपके पास क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड दोनों हैं और पैसे की दिक्कत नहीं, तो ऐसे में हमें उलझन हो जाती है कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें या डेबिट कार्ड का. इस बारे में सुब्रोकमल ने कहा, डेबिट कार्ड की जगह क्रेडिट कार्ड से भुगतान करना चाहिए, क्योंकि बैंक क्रेडिट कार्ड के साथ जो गारंटी देता है, वह डेबिट कार्ड के साथ नहीं मिलती है.

- कई लोगों की आदत कहें या कामचोरी, वे अपने तमाम पासवर्ड को याद करके रखते हैं लेकिन यह छोटी-सी कामचोरी की आपको कभी-कभी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. ऑनलाइन शॉपिंग के लिए रजिस्ट्रेशन के दौरान 'रिमेंबर माय पासवर्ड' का एक नोटिफिकेशन आता है. अगर इसपर क्लिक कर दें, तो यह कम्प्यूटर में पासवर्ड सेव कर देता है. कुछ मैलवेयर गो एंड सर्च योर पीसी (पर्सनल कम्यूटर) के रूप में डिजाइन किए जाते हैं. अधिकांशत: इसका दुरुपयोग तब होता है, जब आपका लैपटॉप गुम हो जाए या चोरी हो जाए क्योंकि ऐसी स्थिति में सभी पासवर्ड आपके डिवाइस में चले जाते हैं और कोई भी बड़ी आसानी से इनका दुरुपयोग कर सकता है, इसलिए बेहतर होगा कि आप इस विकल्प से दूर रहें और कभी इसे इनेबल न करें. 

(आईएएनएस की रिपोर्ट पर आधारित)

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