इंडिया मोर्टगेज गारंटी कॉरपोरेशन (आईएमजीसी) ने गुरुवार को अपने अब तक के पहले होम हंट (घर की खोज) सर्वेक्षण के नतीजे जारी किए. इसमें कहा गया है कि आज की तारीख में सिर्फ 32 प्रतिशत भारतीयों के पास घर है और होम फाइनेंस का भविष्य अच्छा है. होम हंट (घर की खोज) सर्वेक्षण एक वार्षिक अनुसंधान सर्वेक्षण है, जो भारत में आवास और हाउसिंग फाइनेंस के परिप्रेक्ष्य और प्रवृत्तियों से संबंधित है. अनुसंधान का मकसद भारत में घर खरीदने वालों की सोच, आवश्यकता और चिंता के बारे में अनूठी जानकारी मुहैया कराना है. यह सर्वेक्षण कैनटर आईएमआरबी के साथ मिलकर देश के 14 शहरों (मेट्रो, मिनी मेट्रो और छोटे शहरों) में किया जाता है. आईएमजीसी होम हंट 1.1 अनुसंधान में घर खरीद चुके और खरीदने की योजना बनाने वाले दोनों तरह के लोगों से आंकड़े लिए जाते हैं.
आईएमजीसी होम हंट के नतीजे जारी करते हुए नेशनल हाउसिंग बैंक के एमडी और सीईओ श्रीराम कल्याणरमण और इंडिया मोर्टगेज गारंटी कॉरपोरेशन के सीईओ अमिताभ मेहरा मौजूद थे. आईएमजीसी होम हंट के मुख्य नतीजों से यह खुलासा होता है कि सिर्फ 32 प्रतिशत लोग खुद के खरीदे घरों में रहते हैं और 56 प्रतिशत निकट भविष्य में घर खरीदने की योजना नहीं बना रहे हैं.
इस सर्वेक्षण में भाग लेने वालों ने जो प्रमुख मुश्किलें बताईं उनमें ब्याज की ऊंची दर (38 प्रतिशत), बचत न होना और उधार लेने की इच्छा न होना (38 प्रतिशत), संपत्ति की भारी कीमत (32 प्रतिशत) और कर्ज की अपर्याप्त उपलब्धता (32 प्रतिशत) शामिल है. इससे संकेत मिलता है कि जीवन के शुरू में घर के लिए पैसे उपलब्ध कराने की गंभीर आवश्यकता है. पहली बार घर खरीदने वाले शुरुआती भुगतान के लिए मुख्य रूप से निजी बचत पर निर्भर करते हैं. इससे भी घर खरीदने में देरी होती है.
युवाओं में तकरीबन आधे (46 प्रतिशत) अभिभावकों के साथ रहते हैं. किराए के और अपने घरों में रहने वाले (31 प्रतिशत) हैं. इससे अभिभावकों पर आर्थिक निर्भरता का पता चलता है. कर्ज लेने वाले युवाओं के लिए 'लोन हिस्ट्री न होना' और 'आवश्यक राशि कर्ज में प्राप्त करना' दूसरों की तुलना में बड़ी समस्या है. सर्वेक्षण में पता चला है कि ज्यादातर मामलों में किराए पर रहना और घर के शुरुआती भुगतान के लिए निजी बचत पर निर्भर करने से घर खरीदने में देरी होती है. उल्लेखनीय है कि किराए पर घर लेने के मामले मेट्रो शहरों के 29 प्रतिशत की तुलना में में छोटे शहरों में बहुत ज्यादा 37 प्रतिशत है. मिनी मेट्रो शहरों में तो यह और भी कम 23 प्रतिशत ही है.
यह डाटा इस तथ्य को रेखांकित करता है कि भले ही युवा कम उम्र में कमाने लगे हैं और वे घर के लिए कर्ज की किस्तें चुकाने में सक्षम हैं फिर भी शुरुआती भुगतान, डाउन पेमेंट के लिए पर्याप्त बचत नहीं कर पाते हैं. इस अनुसंधान से यह बात भी मालूम होती है कि भारत में लोग घर के लिए शुरुआती भुगतान अपनी बचत से करना चाहते हैं और 62 से 65 फीसदी लोग इसी पर निर्भर करते हैं.
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