सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपए के नोटों को अमान्य घोषित किए जाने का कदम निश्चित तौर पर कालेधन पर रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन इसी के साथ एक सवाल यह खड़ा होता है कि जिनके पास बैंक अकाउंट नहीं हैं, वह कैसे अपने नोटों की बदलें या पुराने नोट (जो अब अवैध हो चुके हैं) कहां और कैसे जमा करवाएं...
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फल और सब्जी विक्रेता, मोहल्लों में इस्त्री करने वाले, गली गली में फेरी लगाकर कपड़े बेचने वाले, ई-रिक्शा चालक, निर्माण व अन्य कार्यों में लगे मजदूर, फेरी वाले, चौकीदार, कार आदि- लोगों के निजी वाहनों की सफाई करने वाले लोग, फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले, शहरों व गांवों में लगने नुक्कड़ बाजार, फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले, रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर फुटपाथ पर छोटी मोटी चीजें बेचने वाले लोग.. इनकी प्रतिदिन की आय नकद में होती है. इन कारोबारों में कैश का ही लेन देन होता है. ऐसे में इनके द्वारा एक साथ इतनी जल्दी 100-100 के नोट प्राप्त कर पाना, खासतौर से ऐसी दशा में, जब उनके पास बैंक खाता न हो, बेहद दिक्कत भरा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि जन धन योजना से 21 करोड़ लोगों को जोड़ा जा चुका है. ऐसे कुछ सवाल इस विमुद्रीकरण के चलते उठे तो हैं लेकिन आशा की जा सकती है कि निकट भविष्य में इनका भी कोई न कोई निकाल लिया जाएगा. पीएम मोदी ने इस कदम की घोषणा करते हुए कहा था कि नई व्यवस्था के कारण पेश आने वाली कुछ परेशानियों का जिक्र करते हुए उन्होंने विश्वस व्यक्त किया कि आतंकवाद, कालाधन, जाली नोट के गोरखधंधे, भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में देश की जागरुक जनता कुछ दिनों तक इस असुविधा को झेल लेगी.
एक सवाल यह है कि देश के हरेक गांव में बैंक हो, यह जरूरी नहीं. ऐसे में विमुद्रीकरण का फैसला बैंकरहित गांवों के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. 500 और 1000 रुपए का नोट अब अवैध है तो ऐसे में प्रतिदिन के कामों को पूरा करना गांव के लोगों के लिए मुश्किल होगा क्योंकि वे इन्हें आसानी से बदलवा नहीं पाएंगे. हालांकि गांवों रहने वाले अपेक्षाकृत अमीर या पढ़ लिखे लोग शहर की ओर जाकर कुछ हद तक इस समस्या से निपट सकते हैं लेकिन यह वाकई बेहद अफरातफरी भरा हो सकता.
गौरतलब है कि गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बदलने के मामले में लोगों को अनावश्यक जल्दबाजी करने या परेशान होने की जरूरत नहीं है. लोगों के पास 30 दिसंबर का समय है. करीब डेढ़ माह की इस समयावधि में वे अपने नोट बैंक या डाकघर जाकर बदल सकते हैं. जनता को कुछ दिनों के लिए समस्या का सामना करना पड़ सकता है लेकिन लंबे समय में उन्हें इसका फायदा ही होगा. जेटली ने आम लोगों को बेफिक्र करते हुए कहा कि उन्हें डरने की जरूरत नहीं है और वे लोग जिनके पास बेशुमार मात्रा में अघोषित धन है, सिर्फ उन्हें ही कानून का सामना करना पड़ेगा.