बुधवार को ये खबर चली कि सरकार पेट्रोल-डीज़ल के मामले में राहत देने के लिए कुछ कदम उठाएगी. पार्टी के अध्यक्ष भी बोले, सरकार के मंत्री भी बोले, लेकिन राहत का इंतज़ार बना रहा. उल्टे लगातार 11वें दिन पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ गए. गुरूवार को महाराष्ट्र के परभणी में पेट्रोल के दाम सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए.
गुरुवार को परभणी में पेट्रोल 87 रुपये 27 पैसे तक गया. जबकि 12 मई, 2018 को परभणी में 84.09 प्रति लीटर था
यानी 11 दिन में तीन रुपये से ऊपर की बढ़ोतरी हुई.
यही हाल डीज़ल का भी है. ओडिशा के मलकानगिरि में डीज़ल के दाम सबसे ऊपर गए. गुरुवार को यहां डीज़ल 77 रुपये 63 पैसे बिका, जबकि 14 मई को डीज़ल 74 रुपये 90 पैसे बिका. यानी 10 दिन में 2 रुपये 73 पैसे की बढ़ोतरी की गई.
बढ़ते दामों पर अब आम लोगों के साथ-साथ उद्योग जगत भी खुलकर सामने आ गया है. फिक्की ने इस पर अपनी चिंता जताई. फिक्की के महासचिव दिलीप चेनाय ने एनडीटीवी से कहा, "आने वाले दिनों में अगर तेल और महंगा होता है तो उसका असर चालू बजट घाटा, महंगाई दर और अहम चीज़ों की कीमतों पर पड़ेगा.
सरकार का रुख़ बता रहा है कि वह टैक्स कम करने से हिचक रही है. हालांकि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कटक में गुरूवार को कहा, "हम एक मजबूत फॉर्मूला बनाने की कोशिश में हैं और समस्या के हल पर काम कर रहे हैं." प्रधान ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी तेल संकट की बड़ी वजह है.
साफ है, संकट बढ़ रहा है...और सरकार को आम लोगों के साथ-साथ उद्योग जगत को राहत देने के लिए जल्दी हस्तक्षेप करना होगा.