देशभर के पेट्रोल पंप मालिकों ने चेतावनी दी है कि यदि उनका मार्जिन बढ़ाए जाने की मांग को नहीं माना गया, तो वे हर रविवार को पंप बंद रखेंगे. यही नहीं, जब तक सरकार इस मामले में दखल नहीं देती है, सप्ताह के शेष दिनों में भी पेट्रोल पंप सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक ही काम करेंगे, ताकि वे लोग अपने खर्चों में कमी ला सकें.
कन्सॉर्टियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स के महासचिव रवि शिंदे ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि पेट्रोल पंप मालिकों ने तय किया है कि 14 मई से प्रत्येक रविवार को पंप बंद रखे जाएंगे, तथा 15 मई से डीलर सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक ही काम करेंगे. यह कन्सॉर्टियम देशव्यापी संगठन है, और लगभग 50,000 पेट्रोल पंप डीलरों का प्रतिनिधित्व करता है.
रवि शिंदे ने यह भी जानकारी दी कि इन फैसलों के अलावा पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन 10 मई को 'नो परचेज़ डे' (कोई खरीद नहीं दिवस) के रूप में मनाएगी, ताकि मांगों पर ज़ोर दिया जा सके. उन्होंने कहा, "इससे (जनता को) ज़्यादा परेशानी पैदा नहीं होगी, लेकिन यह तेल कंपनियों के लिए संकेत होगा कि डीलर अब लड़ाई के लिए तैयार हैं..."
पंप मालिकों की मांगों के बारे में बात करते हुए रवि शिंदे ने बताया कि तेल मार्केटिंग कंपनियों ने "लिखित में दिया हुआ अपना वादा पूरा नहीं किया, जिसमें उन्होंने अपूर्व चंद्र कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक डीलरों को मार्जिन देना था..."
रवि शिंदे ने कहा कि डीलर मार्जिन की बात की जाए तो अपूर्व चंद्र कमेटी के आकलन के अनुसार डीलरों को पेट्रोल पर 3,333 रुपये प्रति किलोलिटर (1,000 लिटर) मिलने चाहिए, और डीज़ल पर 2,126 रुपये प्रति किलोलिटर. उन्होंने कहा, "जबकि इस समय हमें पेट्रोल तथा डीज़ल पर क्रमशः 2,570 रुपये तथा 1,620 रुपये मिल रहे हैं..."
पेट्रोल पंप मालिकों ने जनवरी में डिजिटल भुगतानों पर लगने वाले कर के विरोध में क्रेडिट तथा डेबिट कार्ड के ज़रिये भुगतान लेने से मना करने की चेतावनी दी थी, और उस समय सरकार को दखल देना पड़ा था.
चूंकि देश में डीज़ल की मांग कम हुई है, इसलिए 31 मार्च, 2017 को समाप्त हुए पिछले वित्तवर्ष के दौरान भारत में ईंधन की खपत पांच फीसदी की धीमी गति से बढ़ी. तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनैलिसिस सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता भारत में वर्ष 2016-17 के दौरान ईंधन और पेट्रोलियम उत्पादों की मांग 194.2 मिलियन टन रही, जबकि उससे पिछले वित्तवर्ष के दौरान यह 184.6 मिलियन टन रही थी.