पश्चिमी देशों के प्रतिबंध से मुक्त ईरान के साथ संबंध बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की यात्रा पर पहुंचेंगे। इस दौरान रणनीतिक चाबहार बंदरगाह के पहले चरण के विकास के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और गैस क्षेत्र के विकास पर चर्चा आगे बढ़ेगी।
ईरान के नेताओं से मिलेंगे
पीएम मोदी कुछ सप्ताह पहले शिया धर्मावलंबियों के प्रतिद्वंद्वी देश सऊदी अरब की यात्रा पर गए थे। वह आज शाम यहां पहुंचेंगे और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई समेत यहां के शीर्ष नेतृत्व से मिलेंगे ताकि द्विपक्षीय व्यापार, ऊर्जा और रणनीतिक संबंध को बढ़ावा मिल सके। पीएम मोदी यहां आकर सीधे स्थानीय गुरद्वारे में जाएंगे जहां वह भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करेंगे।
हसन रूहानी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे
पीएम मोदी सोमवार सुबह पारंपरिक स्वागत समारोह के बाद प्रधानमंत्री हसन रूहानी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे जो क्षेत्रीय संपर्क, बुनियादी ढांचा, ऊर्जा और क्षेत्र में आतंकवाद तथा उग्रवाद पर केंद्रित होगी।
बकाया के भुगतान पर भी चर्चा
इस चर्चा में एस्सार ऑयल और एमआरपीएल जैसी भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों पर बकाया 6.4 अरब डालर के भुगतान के स्वरूप पर भी चर्चा होगी। यात्रा से पहले भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों ने 1.2 अरब डालर का भुगतान कर दिया है।
यात्रा के दौरान दो अनुबंध - एक इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट द्वारा ईरान की आर्य बंदर कंपनी के साथ चाबहार बंदरगाह परियोजना के पहले चरण में दो टर्मिनल और पांच बहुआयामी माल ढुलाई गोदी - निर्माण के लिये हस्ताक्षर किया जाएगा।
दक्षिण-पूर्व ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह से अफगानिस्तान जाने का सीधा मार्ग खुलेगा। यहां से फिर पाकिस्तान जाने की जरूरत नहीं होगी। अफगानिस्तान के साथ भारत के नजदीकी सुरक्षा और आर्थिक हित जुड़े हैं।
पीएम मोदी और ईरान के राष्ट्रपति इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की भी समीक्षा कर सकते हैं, जो साइबर अपराध और सामुद्रिक सुरक्षा के अलावा आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद समेत कई चुनौतियों से जूझ रहा है।
भारत और ईरान के बीच 2003 में पाकिस्तान सीमा के नजदीक स्थित ओमान की खाड़ी में चाबहार बंदरगाह के विकास पर सहमति हुई थी।
कई अहम समझौतों पर होंगे हस्ताक्षर
ईरान पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के कारण यह परियोजना धीरे-धीरे आगे बढ़ी। यह प्रतिबंध जनवरी में हटा लिए गए और उसके बाद से भारत समझौते को पूरा करने की कोशिश करता रहा है। भारतीय कंपनी को चाबाहर बंदरगाह में दो घाट विकसित करने में 10 साल का समय लगेगा और यहां से तेल उत्पादों को छोड़कर सभी का परिवहन हो सकेगा।
चाबहार बंदरगाह के पहले चरण के अनुबंध पर हस्ताक्षर के अलावा पीएम मोदी भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच परिवहन और पारगमन गलियारे के त्रिपक्षीय समझौते के भी साक्षी होंगे। इस समझौते से भारत का अफगानिस्तान और मध्य एशिया और उससे आगे सीधे संपर्क बन जायेगा।
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