प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यूरिया के उपयोग से जमीन को गंभीर नुकसान पहुंचता है, ऐसे में हमें संकल्प लेना चाहिए कि 2022 में देश जब आजादी के 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब हम यूरिया के उपयोग को आधा कम कर दें. आकाशवाणी पर प्रसारित 'मन की बात' कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हर प्रकार के वैज्ञानिक तरीकों से यह सिद्ध हो चुका है कि धरती-मां को आवश्यकता से अधिक यूरिया के उपयोग से गंभीर नुकसान पहुंचता है. किसान तो धरती का पुत्र है, किसान धरती माता को बीमार कैसे देख सकता है? उन्होंने कहा कि समय की मांग है, इस मां-बेटे के संबंधों को फिर से एक बार जागृत करने की. क्या हमारे किसान, हमारे धरती के पुत्र, हमारे धरती के संतान ये संकल्प कर सकते हैं कि आज वो अपने खेत में जितने यूरिया का उपयोग करते हैं, 2022 में जब आजादी के 75 साल होंगे, तब वह उसका आधा उपयोग बंद कर देंगे? मोदी ने कहा कि एक बार अगर मां-धरती का पुत्र, मेरा किसान भाई, ये संकल्प कर ले तो देखिए कि धरती-मां की सेहत सुधर जाएगी, उत्पादन बढ़ जाएगा. किसान की जिंदगी में बदलाव आना शुरू हो जाएगा.
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विश्व मृदा दिवस का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि इस देश के किसान के जीवन में, दोनों ही बातों का महत्व रहा है - अपनी मिट्टी के प्रति भक्ति और साथ-साथ वैज्ञानिक-रूप से मिट्टी को सहेजना–संवारना. हम सबको इस बात का गर्व है कि हमारे देश के किसान, परंपरा से भी जुड़े रहते हैं और आधुनिक विज्ञान की तरफ भी रुचि रखते हैं, प्रयास करते हैं, संकल्प करते हैं.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे यह देख कर बहुत खुशी होती है कि मेरे किसान भाई मृदा–स्वास्थ्य कार्ड में दी गई सलाह पर अमल करने के लिए आगे आए हैं और जैसे-जैसे परिणाम मिल रहे हैं, उनका उत्साह भी बढ़ता जा रहा है. अब किसान को भी लग रहा है कि अगर फसल की चिंता करनी है तो पहले धरती-मां का ख्याल रखना होगा और अगर धरती-मां का ख्याल हम रखेंगे तो धरती-मां, हम सब का ख्याल रखेंगी.
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