प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में गिरावट अस्थायी है, जिसे इसे दूर करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है और इसमें कामयाबी जरूर मिलेगी।
कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने विकास दर गिरकर पांच प्रतिशत तक पहुंच जाने पर निराशा जताई और कहा कि सरकार विकास दर आठ प्रतिशत तक हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है। लेकिन विकास की इस नई इबारत को लिखने के लिए सरकार और व्यावसायिक क्षेत्र की साझेदारी की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, विकास दर में आई गिरावट अस्थायी है। हमें इसे समझना चाहिए और इसे दुरुस्त करने के लिए सही कदम उठाने चाहिए। मुझे नहीं लगता कि भविष्य में भी हमारी विकास दर पांच प्रतिशत ही रहेगी। पिछले 10 वर्षों में हमने आठ प्रतिशत विकास दर हासिल की है और हम इसे पुन: प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आज यह आम समझ है कि जब तक सरकार तत्परता से कदम नहीं उठाएगी, पहले से ही धीमी विकास दर पूरे साल पांच प्रतिशत ही बनी रहेगी।
सीआईआई की बैठक में उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि कारोबारी माहौल, जो 2007 में असामान्य रूप से आशावादी था, आज असामान्य रूप से निराशावादी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पांच फीसदी की धीमी विकास दर निराशाजनक है, लेकिन फिर से यह आठ फीसदी हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, हमें स्वीकार करना होगा कि निर्यात कमजोर रहेगा और चालू खाता घाटा उम्मीद से अधिक रहेगा। हम राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए हरसंभव कदम उठाने को प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा, हम एक अस्थायी आर्थिक गिरावट को देख रहे हैं, जिसके लिए आंशिकतौर पर वैश्विक तत्व जिम्मेदार हैं। हमें सुधारात्मक कदम उठाने होंगे।
सिंह ने कहा, निजी क्षेत्र के निवेश में गिरावट को बदला जाना चाहिए। मैं निवेश संबंधी कैबिनेट समिति द्वारा की गई प्रगति से उत्साहित हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति की व्यापक समीक्षा कर रही है। उन्होंने साथ में यह भी कहा, नौकरशाही में भ्रष्टाचार और काहिली समस्याएं हैं। गठबंधन चलाना आसान नहीं।
भूमि अधिग्रहण को लेकर पिछले दिनों उठे विवादों पर उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक जल्द ही संसद में पेश होगा।