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RTI से मांगी गई विदेशों से लौटे कालेधन की जानकारी, PMO ने दिया यह जवाब...

काले धन को पिछले कुछ सालों में काफी राजनीति हुई है. लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने इस कालेधन को देश में वापस लाने की बात की तो इसके बाद विपक्ष ने इसे लेकर मोदी सरकार पर चुटकी ली. खास तौर से हर भारतवासी के खाते में 15 लाख जमा कराने की बात पर सरकार और प्रधानमंत्री को कई बार घेरा गया.
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NDTV Profit हिंदी07:13 PM IST, 07 Dec 2017NDTV Profit हिंदी
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कालेधन को लेकर पिछले कुछ सालों में काफी राजनीति हुई है. लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने इस कालेधन को देश में वापस लाने की बात की तो इसके बाद विपक्ष ने इसे लेकर मोदी सरकार पर चुटकी ली.  खास तौर से हर भारतवासी के खाते में 15 लाख जमा कराने की बात पर सरकार और प्रधानमंत्री को कई बार घेरा गया. इस बीच सूचना अधिकार के तहत लगाई गई एक आरटीआई में सरकार ने जो जवाब दिया है उससे नए सवाल खड़े हो रहे हैं. 

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एक आरटीआई में प्रधानमंत्री कार्यालय से पूछा गया कि एक जून 2014 के बाद से अब तक विदेश से कितना काला धन वापस आया? याचिकाकर्ता ने अपनी आरटीआई में यह भी पूछा कि इस बारे में केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय ने क्या कोशिशें की? उससे संबंधित जानकारी मुहैया कराई जाए.  इसी आरटीआई में याचिकाकर्ता ने यह भी सवाल किया कि एक जून 2014 के बाद से अब तक देश में आए काले धन को लोगों के खाते में जमा करने के लिए केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय ने क्या किया है? इन सवालों के जवाब में सरकार ने कहा कि मांगी गई जानकारी 'सूचना' नहीं है, इसलिए आरटीआई के तहत नहीं दी जा सकती.

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सरकार ने इसके लिए आरटीआई एक्ट यानी सूचना के अधिकार कानून के सेक्शन 2 (f) का हवाला दिया है. प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से दिए जवाब में कहा गया है कि, 'आपके द्वारा मांगी गई जानकारी आरटीआई एक्ट के सेक्शन 2 (f) के तहत सूचना की परिभाषा के अन्तर्गत नहीं आती.' कालेधन पर मांगी गई सूचना पर सरकार का यह जवाब हैरान करने वाला है, क्योंकि आरटीआई एक्ट का सेक्शन 2(f) सूचना को परिभाषित करते हुए कहता है कि कोई भी सामग्री जिसके अंतर्गत अभिलेख (रिकॉर्ड), दस्तावेज, ज्ञापन (मेमो), ई-मेल, विचार, सलाह, प्रेस सूचना, सर्कुलर , लॉगबुक, अनुबंध, रिपोर्ट, कागज़ात, नमूने (सेंपल), मॉडल, इलेक्ट्रॉनिक रूप में डाटा और किसी निजी संस्था के बारे में जानकारी जिस तक उस वक्त किसी भी अन्य कानून के तहत लोक अधिकारी की पहुंच हो. 

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आरटीआई कार्यकर्ता हरिन्दर ढींगरा कहते हैं,  जब आप किसी काम के लिए कोई कोशिश करते हैं तो वह काम किसी न किसी दस्तावेज़ या पत्र व्यवहार की शक्ल लेता है या किसी वारंट की शक्ल लेता है. जिसने भी ये जवाब दिया है वह बहुत गलत है. ये तो पहली ही सुनवाई में खारिज हो जाएगा. इस एक्ट की आड़ में सरकार कोशिश कर रही है कि वह कुछ न बताए या तो सरकार ने कोई कोशिश की हो तो उसे बताए और कोशिश की होगी तो ई मेल होंगे और दस्तावेज़ होंगे वह सब कहां हैं?  साफ है कि विदेश में जमा काले धन औऱ उसकी देश वापसी को लेकर संसद के भीतर और बाहर काफी हंगामा हो चुका है और अब आरटीआई के जवाब में सरकार का ये उत्तर विवाद को और उलझाएगा. 

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