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प्राइवेट सेक्टर के कर्मियों के लिए सलाह : टैक्स फ्री ग्रेच्युटी सीमा 20 लाख रुपये हो जाने पर आप क्या करें- 5 बातें

प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये तक करने की सरकारी और गैर सरकारी कोशिशें जारी हैं. यदि कैबिनेट ने इस बाबत मंजूरी दे दी तो केंद्रीय कर्मचारियों की तरह ही निजी क्षेत्र के कर्मियों को भी बड़ा लाभ मिलेगा. जाहिर है, इससे एंप्लॉयीज़ को रिटायरमेंट के वक्त ग्रेच्युटी का पैसा अधिक मिलेगा. पर क्या आपने सोचा है कि इस पैसे का आप कैसे इस्तेमाल करेंगे?
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NDTV Profit हिंदी08:57 AM IST, 15 Mar 2017NDTV Profit हिंदी
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प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये तक करने की सरकारी और गैर सरकारी कोशिशें  जारी हैं. यदि कैबिनेट ने इस बाबत मंजूरी दे दी तो केंद्रीय कर्मचारियों की तरह ही निजी क्षेत्र के कर्मियों को भी बड़ा लाभ मिलेगा. जाहिर है, इससे एंप्लॉयीज़ को रिटायरमेंट के वक्त ग्रेच्युटी का पैसा अधिक मिलेगा. पर क्या आपने सोचा है कि इस पैसे का आप कैसे इस्तेमाल करेंगे? चलिए, जानकारों से बात करके हम इस बाबत सलाह दें, हालांकि आखिरी फैसला आपको अपनी परिस्थितियों और अपने विवेक के आधार पर लेना चाहिए :

ग्रेच्युटी के धन का इस्तेमाल नियमित आय प्राप्त करने के लिए किया जाना चाहिए ताकि आपको दूसरे स्रोतों से भी आमदनी होती रहे. एक उम्र के बाद आपको निश्चित आय, चूंकि  हो सकता है आप कहीं नौकरी न कर रहे हों, होनी आपकी जीवनचर्या के चलाएमान रखने के लिए जरूरी होती है.

सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम  (SCSS)
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम देश भर में पोस्ट ऑफिस ओर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, कुछ और राष्ट्रीकृत बैंकों की शाखाओं से ली जा सकती है. इनमें आप अधिकतम 15 लाख रुपए तक निवेश कर सकते हैं, यदि आपने 60 साल  से अधिक की आयु पार कर ली है तो. इसके लिए बैंक में सीनियर सिटीजन सेविंग अकाउंट खोलना होगा जिस पर सालाना ब्याज 8.5%  की दर (1.10.2016 से लागू) से मिलता है.

मासिक आय योजना (Monthly Income Plan)
मंथली इनकम प्लान म्यूचुएल फंड हैं जिसके तहत धन मुख्य रूप से डेट में जाता है और कुछ हिस्सा (15-20 फीसदी) इक्विटी में भी जाता है. तीन साल से कम के समय के लिए किए गए निवेश से होने वाला पूंजीगत लाभ कर योग्य आय में आता है. यह इस पर निर्भर करता है कि निवेशक किस इनकम टैक्स स्लैब में आता है. इस समय सीमा से अधिक के निवेश पर 20 फीसदी की दर से टैक्स कटता है लेकिन यह लागतजन्य स्फीति यानी कॉस्ट ऑफ इन्फ्लेशन की दर के हिसाब से अजस्ट हो जाता है जिससे टैक्स का असर काफी हद तक नगण्य हो जाता है. टैक्स संबंधी लाभ होने के चलते विशेषज्ञों की राय में, एमआईपी निवेश का एक अच्छा ऑप्शन है.  निवेशक योजनाबद्ध तरीके से फंड्स से नियमित आय प्राप्त कर सकते हैं.

कॉरपोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट (Coroprate Fixed Deposit)
यह एक प्रकार की एफडी स्कीम ही है जोकि कंपनियों और गैर बैंकिग हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों द्वारा ऑफर की जाती है. ये बैंकों के मुकाबले अधिक ब्याज की दर देते हैं. नागपाल के मुताबिक, जैसे कि एचडीएफसी बैंक की एफडी किसी भी सामान्य बैंक के मुकाबले 1 फीसदी ज्यादा दर देती है. लेकिन फोनाइट होराइजन के सीईओ अनिल रेगो के मुताबिक निवेशकों को 'अधिक ब्याज दर वाले कॉरपोरेट डिपॉजिट में पैसा लगाना' चाहिए. नागपाल के मुताबिक, वैसे को-ऑपरेटिव बैंकों में डिपॉजिट भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है. ये सालाना 9 फीसदी के लगभग की ब्याज दर देते हैं. हालांकि ये अपेक्षाकृत अधिक जोखिम के दायरे में आने वाली एफडी हैं.

बैंकों में करवाई जाने वाली एफडी (FD)
भारत में बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट सबसे ज्यादा पसंद किए जाना वाला निवेश का विकल्प है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह रिटर्न की गारंटी देता है. इसमें आपका मूलधन सुरक्षित रहता है और तरलता का लक्ष्य भी बना रहता है. लेकिन एक बात है, इससे होने वाली आय पर टैक्स छूट नहीं है और इस पर टैक्स लगता है.

एन्यूइटी प्लान्स (Annuity Plans)
एन्यूइटी प्लान्स मूल रूप से वे पेंशन प्लान हैं जो इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा  दिए जाते हैं जिसमें  व्यक्ति एक निश्चित बड़ी रकम निवेश करता है और बदले में नियमित आय पाता है. एन्यूइटी प्लान्स सालाना 7-7.5  फीसदी का सालाना गांरटीड रिटर्न देते हैं. नागपाल कहते हैं- यह इसलिए अच्छा विकल्प हैं क्योंकि अगले 25 साल तक आपको निश्चित तौर पर रिटर्न मिलता रहेगा. हालांकि यह बता दें कि यह आय पूरी तरह से टैक्सेबल है.साथ ही आमतौर पर आपका पैसा इन योजनाओं में एक बार लगा देने के बाद लंबे समय के लिए लॉक हो जाता है और यह नॉमिनी को मिलता है. 80सी के तहत इस पर टीडीएस भी बचाया जा सकता है.

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