संसद में दिए गए एक लिखित जवाब में खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि सरकार के सामने ये जानकारी रखी गई है कि बड़े ट्रेडर्स और आयातकर्ता भारत से बाहर किसी दूसरे देश में दाल की जमाखोरी कर रहे हैं। पासवान ने खुलासा किया है कि खाद्य मंत्रालय के सामने ये जानकारी आई है, लेकिन इशेन्शियल कमोडिटिज एक्ट 1955 और दूसरे कानूनों के तहत कानूनी कार्रवाई सिर्फ स्थानीय जमाखोरों के खिलाफ ही शुरू की जा सकती है।
दरअसल मंगलवार को खाद्य मंत्री रामविलास पासवान से ये सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार ने कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के उन दावों का संज्ञान लिया है, जिसमें बड़ी रिटेल कंपनियों को बाजार में दाल की कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। खाद्य मंत्री ने जवाब में ये भी कहा कि सभी राज्यों और केंद्रशासित राज्यों को एडवाइज़री जारी की गई है और उनसे कहा गया है कि वो जमाखोरी और कालाबाज़ारी के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करें।
संसद में ही रखे गए एक दूसरे जवाब में खाद्य मंत्री ने कहा कि 1.30 लाख टन दाल को सरकारी एजेंसियों ने 14 राज्यों में 14,134 रेड करके जब्त कर लिया है। जब्त किये गए कुल 1.30 लाख टन में से 51,732.27 टन दाल बाजार में उतारा जा चुका है।
हालांकि पासवान ने साफ कर दिया है कि फिलहाल खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने और उन पर नजर रखने के लिए किसी विशेष बॉडी के गठन करने पर सरकार में कोई विचार नहीं चल रहा है। खाद्य मंत्री की ये सफाई ऐसे वक्त पर आई है, जब अरहर दाल देश के कई शहरों में फिर से महंगी होने लगी है। 26 नवंबर से 4 दिसंबर के बीच अरहर दाल देश के 11 शहरों में पांच रुपये ये उससे ज्यादा महंगी हुई।