टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा ने प्रमुख नेताओं, नौकरशाहों और उद्योगपतियों के साथ नीरा राडिया की टेलीफोन वार्ता टैप करने की सरकार की मंशा पर गुरुवार को सवाल उठाए। रतन टाटा ने संकेत दिया कि शायद राजनतिक मकसद से ही ऐसा किया गया था।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष रतन टाटा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि सावर्जनिक जीवन से जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति समुचित निजता की अपेक्षा करता है और इस तरह की बातचीत लीक होने से निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है।
साल्वे ने कहा, ‘‘सरकार का यह आचरण सवालों को जन्म देता है। मेरे दिमाग में किसी तरह का संदेह नहीं है। जब जांच करने में उनकी दिलचस्पी नहीं थी तो फिर उन्होंने बातचीत को टैप क्यों किया। आप (सरकार) ने पांच हजार घंटे की बातचीत टैप की और फिर उस पर बैठ गए। आपने किसी अन्य मकसद से ऐसा किया था। इसमें राजनीतिक दृष्टि से तमाम विस्फोटक सामग्री है।’’
उन्होंने सवाल किया कि सरकार ने टैप की गई बातचीत के आधार पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जबकि वित्तमंत्री को मिली एक शिकायत के बाद ही राडिया के फोन की निगरानी की गई थी।
साल्वे ने कहा, ‘‘इस भावना से बचा नहीं जा सकता कि टेलीफोन टैपिंग की कोई अन्य वजह थी, लेकिन मेरे पास इसे सिद्ध करने के साक्ष्य नहीं है। यह सब रात के अंधेरे में किया गया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है। कोई सरकार यह नहीं कह सकती कि वह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में असमर्थ है। आपको इन अधिकारों और सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी।’’