बैंक संचालन में भाई-भतीजावाद के आरोपों का सामना कर रही निजी क्षेत्र के अग्रणी बैंक आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक और सीईओ चंदा कोचर के कार्यकाल को लेकर कोई भी फैसला लेना बैंक क्षेत्र के नियामक रिजर्व बैंक या फिर आईसीआईसीआई बैंक के निदेशक मंडल के अधिकार क्षेत्र में आता है. आधिकारिक सूत्रों का यह कहना है.
वित्त मंत्रालय का मानना है कि निजी क्षेत्र के बैंक अईसीआईसीआई बैंक के मामलों को देखना और उसके बारे में कोई फैसला लेना उसका काम नहीं है. हालांकि, एक नियामक के तौर पर रिजर्व बैंक इस मामले पर गौर कर सकता है. मंत्राालय के आधिकारिक सूत्रों ने यह कहा है.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि यह देखना रिजर्वबैंक का काम है कि चंदा कोचर को आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक और सीईओ के पद पर बने रहना चाहिये अथवा नहीं. मंत्रालय ने कहा है कि नियामक और आईसीआईसीआई बैंक का निदेशक मंडल इस बारे में निर्णय लेने में सक्षम है. कोचर के खिलाफ अपने कामकाज में भाई भतीजावाद चलाने का आरोप है. इससे बैंकों के कार्य संचालन को लेकर सवालिया निशान लग गया है.
रिपोर्टों के अनुसार कोचर के पति दीपक कोचर ने वीडियोकान समूह के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत के साथ मिलकर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में कारोबार के लिये एक संयुक्त उद्यम बनाया. इसके बाद इस उद्यम में कई लेनदेन किये गये और धूत के बाहर होने के बाद में कंपनी का पूरा नियंत्रण दीपक कोचर के हाथ में आ गया.
आईसीआईसीआई बैंक ने पिछले माह स्वीकार किया कि कोचर ने वीडियोकान समूह को कर्ज देने वाले बैंकों के समूह की समिति से अपने आप को अलग नहीं किया और 2012 में वीडियोकान को बैंक से 3,250 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया.
केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने इस मामले में प्राथमिक जांच शुरू की है. जांच में पता किया जा रहा है कि क्या गलत हुआ है. प्रवर्तन निदेशालय सहित अन्य एजेंसियां भी मामले में जांच कर रही है.