भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया. उसके इस रुख पर सरकार कुछ खफा नजर आई और उसके अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा आर्थिक हालात में ब्याज दरों में बड़ी नरमी करने का इस समय अच्छा मौका था.
रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में कमी न करने के बावजूद कुछ श्रेणी के आवास ऋणों के लिए जोखिम के प्रावधान में कमी की है, जिससे 30 लाख रुपये से 75 लाख रुपये तक के आवास ऋण सस्ते होने की उम्मीद बंधी है. रिजर्व बैंक ने एसएलआर के प्रावधान को भी कम किया है, जिससे बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों में पैसा कम रखना पड़ेगा और उनके पास कर्ज के लिए अधिक धन उपलब्ध रहेगा.
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में राज्यों की कृषि कर्ज माफी के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने के जोखिम का हवाला देते हुए प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया.
केंद्रीय बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.25 प्रतिशत पर कायम रखा. वहीं रिवर्स रेपो को 6 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है. हालांकि उसने बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ाने को लेकर सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में 0.5 प्रतिशत की कटौती की ताकि आर्थिक वृद्धि को गति दी जा सके.
हालांकि एमपीसी के इस फैसले से वित्त मंत्रालय खुश नजर नहीं आया. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने अपनी नाराजगी खुलकर व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान आर्थिक स्थिति में रिजर्व बैंक के लिए मौद्रिक नीति में नरमी लाने की बड़ी गुंजाइश थी.
उन्होंने कहा, 'इस दृष्टिकोण से न केवल खुदरा मुद्रास्फीति अब तक लक्ष्य से काफी कम है, बल्कि विनिर्माण वस्तुओं की मुद्रास्फीति में भी काफी गिरावट आई है. इस नजरिये से रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति के अनुमान में व्यापक रूप से चूक रही है और प्रणालीगत तौर पर उसका अनुमान एकतरफा ऊंचा रहा है.'
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