रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने सभी को हैरान करते हुए खुदरा और थोक वस्तुओं पर आधारित मुद्रास्फीति के लगातार बढ़ने के बावजूद अपनी तिमाही मौद्रिक नीति में किसी नीतिगत दर में कोई परिवर्तन नहीं किया है, हालांकि उन्होंने कहा कि यदि महंगाई नहीं घटती है तो दरें बढ़ाई जाएंगी।
आरबीआई ने रेपो रेट को 7.75 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा है, और चार प्रतिशत पर नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी कोई परिवर्तन नहीं किया है। रिजर्व बैंक के इस फैसले से शेयर बाज़ारों में उत्साह का संचार हुआ और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स लगभग 250-300 अंक ऊपर चढ़ गया।
आरबीआई का कहना है कि वह कोई नई नीतिगत पहल करने से पहले कुछ और आंकड़ों के आने का इंतजार करेगा। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, "हमारे आकलन के मुताबिक सब्जियों की थोक और खुदरा कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट आई है... मौजूदा मुद्रास्फीति भले ही बहुत ऊंचे स्तर पर है, लेकिन हम और आंकड़ों के आने का इंतजार करेंगे..."
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के अनुसार, "हम अर्थव्यवस्था में कमज़ोरी के हालात के बीच ऐसी मौद्रिक नीति रखना चाहते हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य मुख्य तौर पर मुद्रास्फीति को साधना है... खाद्य मुद्रास्फीति में यदि उम्मीद के मुताबिक कमी नहीं आती तो आरबीआई कभी भी पहल कर सकता है..."
रघुराम राजन ने कहा, "हमारा मानना है कि आर्थिक वृद्धि अभी भी संभावना से कम है... कृषि उत्पादन व निर्यात बढ़ने की उम्मीदों तथा लंबित परियोजनाएं शुरू होने की उम्मीदों से चालू वित्तवर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि बेहतर होने की संभावना है, इसलिए आरबीआई मुद्रास्फीति में अस्थायी उछाल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं करेगा..."
दरअसल, रॉयटर के पोल के अनुसार, अर्थशास्त्रियों का मानना था कि आरबीआई रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत बढ़ाएगा। दरअसल, नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 7.52 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई थी, जो सितंबर, 2012 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। इसके अलावा खाद्य पदार्थों के लगातार बढ़ते दामों ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) को भी 11.24 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है।