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कच्चे तेल के दाम बढ़ने से रिजर्व बैंक अगस्त में दरें बढ़ाने को हो सकता है मजबूर: विश्लेषक

कच्चे तेल के दाम बढ़ने का देश में मुद्रास्फीति पर असर पड़ सकता है और इससे रिजर्व बैंक अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करने पर मजबूर होना पड़ सकता है. एक विदेशी ब्रोकरेज एजेंसी ने यह कहा है. एजेंसी ने कहा है , ‘हालांकि शीर्ष बैंक जून में होने वाली आगामी समीक्षा में यथास्थिति बनाये रख सकता है.’
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NDTV Profit हिंदी09:10 AM IST, 22 May 2018NDTV Profit हिंदी
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कच्चे तेल के दाम बढ़ने का देश में मुद्रास्फीति पर असर पड़ सकता है और इससे रिजर्व बैंक अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करने पर मजबूर होना पड़ सकता है. एक विदेशी ब्रोकरेज एजेंसी ने यह कहा है. एजेंसी ने कहा है , ‘हालांकि शीर्ष बैंक जून में होने वाली आगामी समीक्षा में यथास्थिति बनाये रख सकता है.’

ऑस्ट्रेलिया की ब्रोकरेज एजेंसी मेक्वेयरी ने कहा, ‘‘हम अब रिजर्व बैंक की ओर से अनुमानित समय से पहले ही दर में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं. हम उम्मीद करते हैं कि 0.25 प्रतिशत की पहली वृद्धि अब अगस्त में ही होगी जबकि पहले हम 2019 की पहली तिमाही में इस तरह की वृद्धि का अनुमान लगाये हुये थे.’’ 

ब्रोकरेज एजेंसी ने ‘‘बाह्य परिस्थितियों में होते बदलाव’’ को देखते हुये अपने अनुमान में बदलाव किया है. उसने कहा है कि अंतर्निहित आर्थिक कारक कमजोर नहीं है. हालांकि, उसके नोट में बाह्य परिस्थितियों के बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा गया. 

उसने कहा कि इस बात पर गौर किया जा सकता है कि हाल के समय में कच्चे तेल के मूल्यों में तेजी आई है. चालू खाते का घाटा बढ़ा है और रुपये में भारी गिरावट आई है.

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