ड्यूश बैंक की एक रपट के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक जून में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है. पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के मद्देनजर रपट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है. इस वैश्विक ब्रोकरेज फर्म ने इससे पहले कहा था कि उसे केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों के मोर्च पर फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने तथा दरों में वृद्धि अगले साल की शुरुआत में ही किए जाने की उम्मीद है.
रपट में कहा गया है लेकिन अब हाल के समय में कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में बढोतरी के मद्देनजर रिजर्व बैंक अब पहले ही नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है.
शोध रपट में कहा गया है, ‘‘हमें अब लगता है कि रिजर्व बैंक जून में ही रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है और यह बढ़कर 6.25 प्रतिशत पर पहुंच सकती है. इससे पिछले साल अगस्त में हुई 0.25 प्रतिशत की कटौती समाप्त हो जायेगी और इसके बाद एक और 0.25 प्रतिशत की वृद्धि इस कैलेंडर वर्ष के अंत में या फिर अगले वर्ष की शुरुआत में की जा सकती है.’’
ब्रेंट क्रुड तेल का दाम इन दिनों 75 डालर प्रति बैरल के आसपास चल रहा है जो कि दिसंबर 2017 के मुकाबले 12 प्रतिशत ऊपर हैं.
कच्चे तेल के ऊंचे दाम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये हर लिहाज से नकारात्मक हैं. मुद्रास्फीति की बात हो या फिर वित्तीय घाटा हो, चालू खाते के घाटे की बात हो या फिर रुपये की विनिमय दर की बात इन सभी पर कच्चे तेल के ऊंचे दाम का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ऐसे में केन्द्रीय बैंक को पहले से ही कदम उठाने की जरूरत होती है.