रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियां कर्ज के बोझ से दबी हैं. बैलेंसशीट बदहाल है. रियल एस्टेट दिग्गज डीएलएफ, दूसरी बड़ी रियल्टी कंपनी यूनिटेक, इंडियाबुल्स गोदरेज प्रॉपर्टीज पार्श्वनाथ डेवलपर्स समेत कई छोटी-बड़ी भारी भरकम कर्ज से कराह रही हैं. कर्ज, मार्केट कैप से ज्यादा हो चुका है. ऐसे में जिन निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है, उनकी घर पाने की उम्मीदें दम तोड़ती नज़र आ रही हैं.
कई निवेशकों ने न्यायालय की शरण ली है. पिछले एक पखवड़े में यूनिटेक और सुपरटेक जैसी कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लग चुका है. कोर्ट ने ग्राहकों का पैसा वापस लौटाने के लिए कहा है लेकिन कंपनियों के पास पर्याप्त पैसे ही नहीं हैं. रियल एस्टेट की बदहाली पर एक नज़र-
सुपरटेक को वापस करने होंगे निवेशकों के पैसे
नोएडा एक्सप्रेस-वे पर बने सुपरटेक इमरेल्ड कोर्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 फीसदी ब्याज के साथ खरीदारों को रकम वापस करने के लिए कहा है. कंपनी के प्रोजेक्ट इमरेल्ड कोर्ट से जुड़े मामले में 14 खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है. न्यायालय ने 30 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई तय की है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट नोएडा एक्सप्रेस-वे पर बने 40 मंजिला इमरेल्ड कोर्ट के दो टावरों के मामले की सुनवाई कर रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों टावरों को अवैध घोषित कर गिराने के आदेश दिए थे. लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी और टावर को सील करने के आदेश दिए थे.
यूनिटेक ने निवेशकों के पैसे लौटाने में जताई असमर्थता
पिछले हफ्ते रियल एस्टेट कंपनी Unitech लिमिटेड को गुड़गांव के एक प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने ग्राहकों को फ्लैट देने में देरी मामले में कंपनी को 34 निवेशकों के 15 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी से यह भी कहा है कि दो हफ्ते में 5 करोड़ रुपेय जमा कराएं, जबकि बाकी के 10 करोड़ रुपये सितंबर तक जमा कराएं। इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि जो ग्राहक पैसा चाहें, उन्हें वापस किया जाए। कोर्ट ने 38 ग्राहकों की याचिका पर यह आदेश दिया था। कंपनी द्वारा 2009 में फ्लैट बुक किए गए थे और 2012 में ग्राहकों को फ्लैट दिए जाने थे।
इससे पहले नोएडा के बरगंडी सोसायटी में भी ग्राहकों की तय वक्त पर फ्लैट न देने के मामले में भी यूनिटेक से सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो ग्राहक पैसे वापस लेना चाहते हैं, उनकी सूची तैयार कर यूनिटेक दी जाए। हालांकि यूनिटेक ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह निवेशकों की रकम वापस कर सके। कंपनी के पास रुपये नहीं हैं इसलिए निर्माण कार्य बंद है।