ADVERTISEMENT

डॉलर की तुलना में रुपया लुढ़का, पढ़ें इसके फायदे और नुकसान

डॉलर की भारी मांग के बीच रुपये में मंगलवार को वर्ष 2018 की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट आई. रुपया 56 पैसे लुढ़ककर 16 माह के ताजा निम्न स्तर 68.07 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.  कारोबार के दौरान रुपया 68.15 रुपये प्रति डॉलर तक नीचे चला गया था. यह 24 जनवरी 2017 के बाद रुपये का सबसे कमजोर बंद स्तर है. उस दिन यह 68.15 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
NDTV Profit हिंदीNDTVKhabar News Desk
NDTV Profit हिंदी09:07 AM IST, 16 May 2018NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

डॉलर की भारी मांग के बीच रुपये में मंगलवार को वर्ष 2018 की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट आई. रुपया 56 पैसे लुढ़ककर 16 माह के ताजा निम्न स्तर 68.07 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.  कारोबार के दौरान रुपया 68.15 रुपये प्रति डॉलर तक नीचे चला गया था. यह 24 जनवरी 2017 के बाद रुपये का सबसे कमजोर बंद स्तर है. उस दिन यह 68.15 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. 

अन्तरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 67.68 पर कमजोर खुला. कारोबार के दौरान यह 68.15 रुपये प्रति डॉलर तक लुढ़कने के बाद अंत में 56 पैसे अथवा 0.83 प्रतिशत की भारी गिरावट प्रदर्शित करता अंत में 68.07 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ. भारतीय रिजर्व बैंक ने कारोबार के लिये संदर्भ दर 67.5288 रुपये प्रति डालर और 80.5281 रुपये प्रति यूरो निर्धारित की थी. 

रुपये की कमजोरी से ये वस्तुएं औ सेवाएं होंगी महंगी
रुपये की कमजोरी से कई वस्तुओं महंगी होंगी. रुपये में आई कमजोरी की वजह से हर उस वस्तू और सेवा के लिए ज्यादा कीमत अदा करनी पड़ेगी जो विदेशों से आयात होती है. देश में सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात होता है जिससे पेट्रोल और डीजल और अन्य उत्पाद तैयार होते हैं. 

इसके बाद दूसरे नंबर पर इलेक्ट्रोनिक्स का सामान आयात होता है. फिर सोना और महंगे आभूषण, और पांचवें नंबर पर इलेक्ट्रिक मशीनों का ज्यादा आयात होता है. इन तमाम वस्तुओं को खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान करना पड़ता है और अब डॉलर खरीदने के लिए क्योंकि पहले से ज्यादा रुपये लगेंगे तो ऐसे में इस तरह की सभी वस्तुओं को विदेशों से खरीदने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. कई और वस्तुएं जिनका आयात होता है वह सब कुछ महंगी हो जाएंगी क्योंकि इनके लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी. इन सबके अलावा विदेश घूमना, विदेश में पढ़ाई करने जैसी सेवाएं भी महंगी होंगी.

रुपये की कमजोरी के फायदे भी हैं.
अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देखें तो रुपये की कमजोरी से केवल नुकसान नहीं है. ऐसा रुपये की कमजोरी के सिर्फ नुकसान ही नहीं है बल्कि इससे फायदे भी हैं. अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार लंबे समय से निर्यात को बढ़ावा दे रही है. भारत से विदेशों को सामान निर्यात करने पर उसकी पेमेंट क्योंकि डॉलर में मिलती है. अब क्योंकि रुपया कमजोर है तो ऐसे में विदेशों से आने वाले डॉलर के देश में ज्यादा रुपए मिलेंगे. यानि निर्यात से फायदा बढ़ेगा और निर्यात आधारित इंडस्ट्री और निर्यात के लिए प्रोत्साहित होगी. 

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT