किंगफिशर एयरलाइंस को कर्ज देने वाले 17 बैंकों के कंसोर्टियम के प्रमुख बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने इन आरोपों का खंडन किया कि बैंकों ने एयरलाइन और उसके प्रवर्तक विजय माल्या के खिलाफ कार्रवाई करने में देरी की। एसबीआई का यह बयान ऐसे समय आया है जब संसद में माल्या के देश से बाहर जाने को लेकर भारी हंगामा रहा।
किंगफिशर पर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। मीडिया में इस तरह की खबरें आई हैं कि दिल्ली की विधि कंपनी ने एसबीआई को माल्या को विदेश जाने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट या कर्ज वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) में पिछले महीने के अंत में जाने की सलाह दी थी, लेकिन बैंक ने तेजी से यह कदम नहीं उठाया।
एसबीआई ने बयान में कहा कि कंसोर्टियम के प्रमुख बैंक के रूप में हम इन मीडिया खबरों का खंडन करते हैं। एसबीआई ने दावा किया वह इस मामले में तेजी से आगे बढ़ा था। माल्या पर उसके 1,600 करोड़ रुपये का बकाया है। एसबीआई ने कहा कि डियाजियो ने माल्या के साथ 7.5 करोड़ डॉलर के करार की घोषणा 26 फरवरी को की थी।
एसबीआई ने डीआरटी बेंगलुरू को इस मामले की सुनवाई पहले करने को कहा था। यह सुनवाई आठ मार्च को होनी थी। डीआरटी ने मामले की सुनवाई पहले कर 29 फरवरी कर दी। 27 और 28 फरवरी को अवकाश होने की वजह से इसमें देरी हुई।
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