शेयर बाजारों में तेजी तथा खुदरा निवेशकों की मजबूत भागीदारी से 2014 में अब तक बीएसई में मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों ने अच्छा रिटर्न दिया। इसने बड़ी कंपनियों के शेयरों को पीछे छोड़ दिया। मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों ने 62 प्रतिशत तक रिटर्न दिया है।
तीन सूचकांकों के विश्लेषण से यह पता चलता है कि बंबई शेयर बाजार (बीएसई) में जहां छोटी कंपनियों के शेयर सूचकांक (स्मॉल कैप इंडेक्स) में 62.44 प्रतिशत तक रिटर्न मिला, वहीं मझोली कंपनियों के सूचकांक (मिड कैप इंडेक्स) ने 41.84 प्रतिशत का रिटर्न दिया। दूसरी तरफ, बड़ी कंपनियों के सूचकांक ने 2014 में अब तक 25.49 प्रतिशत रिटर्न दिया है।
सेंसेक्स 8 सितंबर को रिकॉर्ड स्तर 27,319.85 अंक तक पहुंच गया था। मिड कैप इंडेक्स 15 सितंबर को एक साल के उच्च स्तर पर 10,000.86 तथा उसी दिन स्मॉल-कैप इंडेक्स 52 सप्ताह के उच्च स्तर 11,245.52 पर पहुंच गया।
विश्लेषकों के अनुसार जब बाजार में तेजी होती है, तो प्रमुख कंपनियों के मुकाबले इन शेयरों में लाभ ज्यादा होता है, लेकिन, अनिश्चितता के दौरान मझोली तथा छोटी कंपनियों के शेयरों में नुकसान ज्यादा होता है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार नई सरकार के गठन के बाद निवेशकों की धारणा मजबूत हुई तथा मजबूत विदेशी कोष प्रवाह से घरेलू शेयर बाजार में तेजी है।
वर्ष 2013 में छोटी एवं मझोली कंपनियों के शेयर 12 प्रतिशत नीचे आए थे। मझोली तथा छोटी कंपनियों के शेयरों में सबसे ज्यादा भागीदारी खुदरा निवेशकों की रही और पिछले कुछ महीनों से इस क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ी हैं। बाजार कारोबारियों के अनुसार छोटी कंपनियों के शेयरों को आमतौर पर स्थानीय निवेशक खरीदते हैं, जबकि विदेशी निवेशक बड़ी कंपनियों के शेयरों पर ध्यान देते हैं।
मिड कैप सूचकांक में ऐसी कंपनियां हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण प्रमुख ब्लूचिप कंपनियों अथवा बड़ी कंपनियों का औसतन पांचवां हिस्सा होता है, जबकि स्माल कैप में ऐसी कंपनियां हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण बड़ी कंपनियों के मुकाबले उनका दसवां हिस्सा है।