देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने सरकार को बड़े अमीरों पर अधिक कर लगाने, लघु बचत योजनाओं को प्रोत्साहन देने और मुद्रास्फीति दर को चार से पांच प्रतिशत पर लाने के लिए हर संभव प्रयास करने को कहा है।
वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के साथ बजट पूर्व चर्चा में भाग लेते हुए अर्थशास्त्रियों ने सरकार का राजस्व बढ़ाने तथा राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाने के लिए विरासत कर की शुरुआत करने और कर आधार का विस्तार करने पर भी जोर दिया।
चिदंबरम ने इससे पहले अर्थशास्त्रियों से बजट के बारे में सुझाव आमंत्रित करते हुए कहा कि यूरोक्षेत्र और अमेरिका में हुए आर्थिक घटनाक्रम और राजीनतिक उठापटक से विश्व अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है।
उनहोंने कहा कि बहरहाल, सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की बदौलत बाजार धारणा में कुछ बदलाव आया है और अमेरिका में राजकोषीय संकट का समाधान होने से भी बाजार धारणा पर सकारात्मक असर पड़ा है। चिदंबरम ने कहा कि मुश्किल दौर निकल चुका है और अब सरकार का ध्यान उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल करने पर है।
अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक के बाद जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार को बड़े अमीरों पर अधिक कर लगाना चाहिए। कर आधार का विस्तार होना चाहिए और कर कानूनों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। आय छुपाने वाले और अधिक आय होने के बावजूद कम कर का भुगतान करने वालों को दंडित किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने भी हाल ही में बड़े धनाढ्यों पर अधिक कर लगाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि एक सीमा से अधिक कमाई करने वालों पर ऊंची दर से कर लगाया जाना चाहिए।