रिजर्व बैंक आगामी तीन महीनों के दौरान ब्याज दरों में कटौती पर विचार कर सकता है, क्योंकि सितंबर-दिसंबर के दौरान मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से नीचे आ सकती है. इसके बाद अगली तिमाही में यह वापस वृद्धि की तरफ लौट सकती है. वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी डीबीएस की एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है, 'मुद्रास्फीति में नरमी के रुख से चालू कैलेंडर वर्ष की चौथी तिमाही में ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बन रही है. हालांकि, अक्टूबर में यह ऊपर जा सकती है.' डीबीएस के अनुसंधान नोट में कहा गया है, 'आगे चलकर एक अनुकूल मुद्रास्फीति की दिशा और एक नरम रुख वाली मौद्रिक नीति समिति से ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बनती है, लेकिन इसकी मांग की गति तथा अमेरिका में दरों के सामान्यीकरण से संतुलन बैठाने की जरूरत होगी.'
रिजर्व बैंक की अगली मौद्रिक समीक्षा 4 अक्टूबर को होगी. यह रिजर्व बैंक के नए गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई में पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक होगी. रघुराम राजन का कार्यकाल पूरा होने के बाद पटेल ने 4 सितंबर को कार्यभार संभाला था.
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