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आरबीआई के नए गवर्नर उर्जित पटेल के लिए कुछ चुनौतियां ये भी हो सकती हैं...

आरबीआई के वर्तमान गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल 4 सितंबर को समाप्त होने के बाद केंद्रीय बैंक के गवर्नर का पद संभालने जा रहे उर्जित पटेल अपनी उन व्यावसायिक और शैक्षणिक योग्यताओं के लिए सम्मानजक छवि रखते हैं जो उनके नए रोल को सफलतापूर्वक चलाने के लिए जरूरी मानी जाती है.
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NDTV Profit हिंदी12:13 PM IST, 21 Aug 2016NDTV Profit हिंदी
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आरबीआई के वर्तमान गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल 4 सितंबर को समाप्त होने के बाद केंद्रीय बैंक के गवर्नर का पद संभालने जा रहे उर्जित पटेल अपनी उन व्यावसायिक और शैक्षणिक योग्यताओं के लिए सम्मानजक छवि रखते हैं जो उनके नए रोल को सफलतापूर्वक चलाने के लिए जरूरी मानी जाती है. उन्हें जुलाई 2013 को आरबीआई का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था और इस साल जनवरी में उनका कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ाया गया था.

रिजर्व बैंक के भीतर उर्जित पटेल के बारे में कहा जाता है कि वह बड़ी मीटिंग और मुलाकातें करने से बचते हैं. उनकी यह 'आदत' उनके पहले के डिप्टी गवर्नरों से अलग है जोकि अक्सर जनता से जुड़े कार्यक्रमों में व्यस्त रहते थे. वह भाषणादि भी कम देते हैं और वह मीडिया में इंटरव्यू देने में भी उनकी दिलचस्पी कम रहती है. आमतौर पर 'निर्जन' तरीके से या कहा जा सकता है कि एकांत में काम करते हैं और कई बार तुनकमिजाज भी करार दिए जाते हैं.

डॉक्टर पटेल के साथ काम कर चुके एक अधिकारी ने बताया- उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी उनकी खुद की कम्यूनिकेशन स्किल्स. वह केवल उन्हीं के साथ बातचीत करने को प्राथमिकता देते हैं जिनके साथ वह सहज महसूस करते हैं और ऐसे लोग बेहद कम हैं.

रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर बनने जा रहे उर्जित पटेल लंदन स्कूल इकोनॉमिक्स से स्नातक हैं. फिर उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम. फिल और येल यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र से पीएचडी की. पटेल के पास दो दशक का ऊर्जा, बुनियादी ढांचों और वित्त क्षेत्र में कार्यों का अनुभव है. आईबीआई के अलावा वह बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ भी काम कर चुके हैं.

अब इससे सवाल खड़े होते हैं कि डॉक्टर पटेल अपनी भूमिका में जनसंवाद के पहलू को किस प्रकार से निभाएंगे. आरबीआई की नई मॉनिटेरी पॉलिसी कमिटी के लिए उन्हें पांच और सदस्यों की सहमति की जरूरत होगी. उन्हें राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले बैंकों के अध्यक्षों से भी काफी नजदीकी के साथ काम करना होगा. आरबीआई को बैड लोन, जोकि करीब 8 लाख करोड़ रुपए का है, से निपटने के लिए यह करना जरूरी होगा.

डॉक्टर पटेल के सरकारी अधिकारियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. नई भूमिका में ये और बेहतर हो सकते हैं. जबकि, डॉक्टर रघुराम राजन पीएम मोदी की भारतीय जनता पार्टी के कुछ सदस्यों के निशाने पर अक्सर रहे. उर्जित पटेल के साथ काम कर चुके आरबीआई के एक अन्य सीनियर अधिकारी ने कहा- वह काफी भावुक हैं और सरकार की नाराजगी को लेकर व्यावहारिक और समझदारीपूर्ण रवैया अपनाते हैं.

इससे पहले वाले अधिकारी ने बताया कि वह डिप्टी गवर्नर के तौर पर दोबारा चुने गए और अब प्रमोशन के साथ गवर्नर बनाए जा रहे हैं, यह बताता है कि वह सरकार के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखते हैं.

डॉक्टर पटेल डॉक्टर राजन की तरह निवेशकों के बीच अच्छी साख रखते हैं. रघुराम राजन के करीबी सहयोगी माने जाने वाले पटेल को महंगाई के खिलाफ मोर्चा संभालने वाले राजन के मजबूत सिपाही के तौर पर जाना जाता है. वह समिति के अध्यक्ष रहे हैं, जिसने थोक मूल्यों की जगह खुदरा मूल्यों को महंगाई का नया मानक बनाए जाने सहित कई अहम बदलाव लाए.

कई विश्लेषकों का मानना है कि वह सरकार के साथ को कोई सलाम-बंदगी भी नहीं करने वाले. उनकी जो छवि है, उससे लगता है कि वह केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को रखते हुए पीएम मोदी और उनके मंत्रियों को वित्तीय घाटे को सावधानी और बुद्धिमानी से साधने की ओर जोर देंगे. मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के चीफ इंवेस्टमेंट अधिकारी मिहिर वोरा के मुताबिक, नए गवर्नर को बाहरी दुनिया और भारतीय बाजारों में फिर से वही साख पैदा करनी होगी जो उन्हें केंद्रीय बैंक में है.

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