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शेयर बाजार : तिमाही नतीजों पर रहेगी नजर

देश के शेयर बाजार के निवेशकों की निगाह अगले सप्ताह मुख्य रूप से मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए कंपनियों द्वारा घोषित किए जाने वाले परिणामों पर रहेगी।
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NDTV Profit हिंदी10:11 AM IST, 13 Jul 2014NDTV Profit हिंदी
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देश के शेयर बाजार के निवेशकों की निगाह अगले सप्ताह मुख्य रूप से मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए कंपनियों द्वारा घोषित किए जाने वाले परिणामों पर रहेगी। आने वाले कुछ दिनों में बाजार में मुनाफावसूली के कारण बिकवाली का दौर जारी रह सकता है।

मोदी की सरकार के सत्ता में आने के बाद से निवेशकों को बजट में बाजार में तेजी लाने वाले प्रावधानों की उम्मीद थी। इस कारण बाजार में तेजी देखी जा रही थी। निकट भविष्य में कोई विशेष घटना न होने और बाजार में तेजी लाने वाला कोई उत्प्रेरक न होने के कारण निवेशक कुछ समय के लिए मुनाफावसूली का रास्ता अपना सकते हैं।

साथ ही मॉनसूनी बारिश औसत से कम रहने का असर भी अगले हफ्ते शेयर बाजारों पर दिख सकता है। बहरहाल, तिमाही परिणामों से मिलने वाले संकेतों से कुछ विशेष शेयरों में विशेष गतिविधि देखी जा सकती है।

सोमवार को डीसीबी बैंक, टाटा स्पंज, मंगलवार को नीट टेक, टीटीके प्रेस्टीज, बुधवार को फेडरल बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, गुरुवार को बजाज ऑटो, टीसीएस और शुक्रवार को क्रिसिल, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस पावर और जी एंटरटेनमेंट मौजूदा कारोबारी साल की प्रथम तिमाही के लिए अपने परिणामों की घोषणा करेंगी।

सरकार ने शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद मई महीने के लिए औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े जारी किए हैं। इसका असर अगले सप्ताह बाजार पर दिखाई दे सकता है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, मई महीने में औद्योगिक उत्पादन 4.7 फीसदी बढ़ा। यह पिछले दो साल में सर्वाधिक वृद्धि है। अप्रैल महीने में औद्योगिक उत्पादन में 3.4 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी, जबकि मार्च महीने में इसमें 0.5 फीसदी गिरावट रही थी।

सरकार 14 जुलाई को थोक मूल्य पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी करेगी। भारत मौसम विज्ञान विभाग और निजी मौसम विश्लेषण एजेंसी स्काईमेट के पूर्वानुमानों के मुताबिक, मौजूदा मानसून सत्र में दीर्घावधि औसत के मुकाबले कम बारिश होगी। इससे खाद्य उत्पादों की कीमतों में वृद्धि होने का अनुमान है। देश की कृषि बहुत हद तक मॉनसून पर निर्भर करती है और मॉनसून का देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ता है।

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