भारती सेलुलर लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंधन निदेशक सुनील भारती मित्तल ने 2जी मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत द्वारा 19 मार्च को उन्हें जारी किए गए सम्मन के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
विशेष अदालत ने 2002 में राजग के शासनकाल में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनील मित्तल को बतौर आरोपी सम्मन जारी किया है।
हालांकि सीबीआई के आरोप पत्र में मित्तल के नाम का जिक्र नहीं किया गया है, विशेष सीबीआई अदालत ने मामले में भारती सेलुलर के प्रमुख के खिलाफ यह कहते हुए सम्मन जारी किया कि उसके पास मित्तल के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए ‘पर्याप्त सामग्री’ है।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने दो अन्य लोगों. एस्सार ग्रुप के प्रवर्तक रवि रुइया और असीम घोष के खिलाफ भी सम्मन जारी किया था। रुइया उस समय आरोपी कंपनी स्टर्लिंग सेलुलर के निदेशक थे, जबकि घोष दूसरी आरोपी फर्म हचिंसन मैक्स टेलीकाम के प्रबंध निदेशक थे। इनके नाम आरोप पत्र में नहीं थे।
सीबीआई ने पिछले साल 21 दिसंबर को पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोषण और तीन दूरसंचार कंपनियों भारती सेलुलर लिमिटेड, हचिंसन मैक्स टेलीकाम (अब वोडाफोन इंडिया) और स्टर्लिंग सेलुलर (अब वोडाफोन मोबाइल सर्विस लि.) के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए थे।
अदालत द्वारा इन्हें समन जारी कर 11 अप्रैल तक हाजिर होने को कहा गया था।
अदालत ने कहा था कि मित्तल, रुइया और असीम घोष ‘प्रथम दृष्टया’ अपनी कंपनियों के नियंत्रक थे और इन कंपनियों के नाम सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप पत्र में लिए गए हैं।
अदालत ने अपने दो पन्नों के आदेश में कहा था कि मित्तल भारती सेलुलर लि. के चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक थे, जबकि रुइया स्टर्लिंग सेलुलर के निदेशक थे और ये अपनी अपनी कंपनियों के निदेशक मंडलों की बैठकें लिया करते थे।