वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि ट्रेड यूनियनों की दो दिन की आम हड़ताल से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा और 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का नुकसान होगा।
एसोचैम का कहना है कि पहले से ही नरमी से जूझ रही देश की अर्थव्यवस्था हड़ताल से और कमजोर होगी। चालू वित्तवर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि की दर पिछले एक दशक में सबसे कम (5 प्रतिशत) रह जाने का अनुमान है। पिछले वर्ष आर्थिक वृद्धि 6.2 प्रतिशत रही थी।
एसोचैम अध्यक्ष राजकुमार धूत ने कहा है कि महंगाई की चिंता सभी को है और श्रमिक संगठनों की हड़ताल से वस्तुओं की आपूर्ति गड़बड़ाने से महंगाई और बढ़ सकती है। धूत ने कहा कि देशव्यापी इस हड़ताल से बैंकिंग, बीमा और ट्रांसपोर्ट जैसे सेवा क्षेत्र पर ज्यादा असर पड़ेगा, साथ ही औद्योगिक उत्पादन भी प्रभावित होगा। यहां तक कि सब्जियों की आवाजाही प्रभावित होने से कृषि क्षेत्र पर भी असर होगा। फल एवं सब्जियां यदि तुरंत गंतव्य तक नहीं पहुंचती हैं, तो इनके खराब होने का जोखिम रहता है।
हड़ताल से जीडीपी में होने वाले नुकसान का अनुमान दैनिक जीडीपी में 30 से 40 प्रतिशत नुकसान के आधार पर लगाया गया है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू वित्तवर्ष के दौरान देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 95 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इस हिसाब से दैनिक जीडीपी 26,000 करोड़ रुपये और दो दिन में 52,000 करोड़ रुपये बैठती है। ऐसे में हड़ताल से यदि 30 से 40 प्रतिशत दैनिक कारोबार का नुकसान होता है, तो दो दिन की हड़ताल से कुल मिलाकर 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये जीडीपी का नुकसान होगा।