त्रिपुरा की योजना यदि सफल होती है तो जल्द ही पूर्वोत्तर का यह राज्य बांग्लादेश से होकर देश के अन्य हिस्से में बिजली की आपूर्ति करने लगेगा। राज्य ने केंद्र सरकार से बांग्लादेश के साथ इस सम्बंध में एक व्यवस्था निश्चित करने का आग्रह किया है।
दक्षिण त्रिपुरा के पलटाना में सरकारी कम्पनी ओएनजीसी के 726 मेगावाट संयंत्र की पहली इकाई ने बिजली उत्पादन करना करना शुरू कर दिया है और जून तक यह पूरी क्षमता से काम करने लगेगा। एक अन्य सरकारी कम्पनी नॉर्थ ईस्ट इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (नीपको) पश्चिम त्रिपुरा के मोनारचक में 104 मेगावाट की एक गैस आधारित परियोजना स्थापित कर रही है, जो इस साल के आखिर तक बिजली उत्पादन करने लगेगी।
त्रिपुरा के बिजली मंत्री मानिक डे ने कहा, "पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों को बिजली आपूर्ति करने के उद्देश्य से त्रिपुरा से पश्चिमी असम स्थित बोंगाईगांव के राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों और जंगलों से होकर पारेषण लाइन खींचना एक दुष्कर काम है।"
उन्होंने कहा, "इसकी तुलना में बांग्लादेश से होकर देश के शेष हिस्से में बिजली का पारेषण अधिक आसान है। हमने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह बांग्लादेश के साथ इस बारे में एक व्यवस्था तैयार करे।" डे ने कहा, "केंद्र सरकार मामले का अध्ययन कर रही है।"
पलटाना परियोजना भारत और बांग्लादेश के आपसी सहयोग का प्रमाण है। परियोजना के लिए महत्वपूर्ण उपकरणों और टरबाइनों की ढुलाई बांग्लादेश के हल्दिया बंदरगाह से जलमार्ग से होकर पलटाना तक की गई थी।
मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने पहले कहा था कि बांग्लादेश ने पलटाना परियोजना से बिजली खरीदने की इच्छा जताई थी।
ओएनजीसी त्रिपुरा पावर कम्पनी (ओटीपीसी) के प्रबंध निदेशक सुधींद्र कुमार दूबे ने भी आईएएनएस से कहा, "पलटाना बिजली परियोजना से पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों तक बिजली का पारेषण एक बड़ी समस्या है।"
ओटीपीसी ओएनजीसी, त्रिपुरा सरकार और इंफ्रास्ट्रक्च र लीजिंग एंड फाइनेंशियन लिमिटेड (आईएलएंडएफएस) का संयुक्त उपक्रम है, जिसका गठन परियोजना स्थापित करने के लिए किया गया था। फिलहाल व्यस्त समय में त्रिपुरा की कुल मांग 200 मेगावाट है।