टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान विराट कोहली की कप्तानी में न सिर्फ भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी एक के बाद एक रिकॉर्ड बना रहे हैं बल्कि टीम भी जीत के किले फतह कर रही है. चलिए आज आपको बताएं कि विराट की कैप्टनशिप में छिपे हैं कई ऐसे राज, जिन्हें गौर से देंखे तो वे निवेश के लिए भी बेहतरीन गुर साबित हो सकते हैं. आइए जानें कि क्रिकेट की दुनिया के इस चमकते हुए सितारे से हम निवेश के बाबत क्या सीख सकते हैं...
1-अपने पर भरोसा- अंडर-19 विश्व कप में जब भारतीय टीम ने कप जीता था तब विराट कोहली ही भारतीय टीम के कप्तान थे. उनकी शानदार कप्तानी की बदौलत ही भारत यह कप जीतने में कामयाब रहा था. विराट कोहली सुर्खियों में उस समय आए जब वह अपने पिता की मृत्यु के दिन कर्नाटक के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच में दिल्ली के लिए खेल रहे थे. निवेश का एक महत्वपूर्ण नियम है कि अपने फैसलों पर तर्कसंगत भरोसा करें. हां यह जरूरी कि अपना पोर्टफोलियो बनाते समय आप जिन शेयरों, निवेश के लिए फंड्स और स्कीमों को चुने, वे पूरी तरह से रिसर्च के बाद लिए गए हैं. एक बार फैसला ले लें तो उस पर अफवाहों से इतर अडिग रहें और बाजार की चाल पर भी नजर बनाए रखें.
2- निरंतरता- विराट कोहली ने इतनी कम उम्र में बड़े बड़े रिकॉर्ड्स बना लिए हैं और कहा जा रहा है कि वह इसी रफ्तार से चलते रहे तो वे रिकॉर्ड्स के मामले में सचिन तेंदुलकर से भी आगे निकल जाएंगे. इसकी वजह संभवत: यह है कि वह लगातार अच्छा खेल रहे हैं और अपने फैसलों की समीक्षा करते हुए रणनीति तय कर रहे हैं. वनडे और टेस्ट क्रिकेट में भी कोहली ने रिकॉर्ड रन बनाएं हैं. विराट वनडे में 25 सेंचुरी और 37 हाफ सेंचुरी लगा चुके हैं, वहीं टेस्ट क्रिकेट में 13 शतक और 12 हाफ सेंचुरी लगा चुके हैं. निरंतरता का नियम निवेश पर भी लागू होता है. एक अच्छा निवेशक अपने बाजार की उठापटक से अत्याधिक प्रभावित हुए बगैर नियमित रूप से निवेश करता है. जैसे यदि आपने एसआईपी में निवेश किया हुआ है, तो इसके लिए आप नियमित तौर पर एक निश्चित रकम निवेश करते होंगे. यह निवेश का गोल्डन रूल है कि निवेश में निरंतरता बनी रहे. चाहे कितना भी कम पैसा क्यों न निवेश में लगाएं लेकिन यह कोशिश यानी निवेश निरंतर होना चाहिए.
3-जोखिम लेने की क्षमता- टेस्ट मैचों में पारंपरिक रूप से विनिंग टीम को ही लगातार खेलने का मौका दिया जाता है और उससे कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती. लेकिन विराट कोहली ने इस नियम के खिलाफ जाकर फैसला लिया. गौतम गंभीर और विराट कोहली के बीच अच्छी ट्यूनिंग नहीं बताई जाती थी. कहा जाता था कि दोनों के बीच टकराव की स्थिति रहती है बावजूद इसके इंदौर टेस्ट में गौतम गंभीर को उन्होंने मौका दिया और इन मैचों में गभीर में अच्छा परफॉर्म भी किया. निवेश का नियम यही कहता है कि बाजार उस समुंद्र की तरह है जहां आप पूरी तैयारी से कूदते हैं तब भी यह निश्चित नहीं होता कि आप मंजिल तक पहुंचेंगे या लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे. कोहली का गंभीर को खिलाने का फैसला इसी जोखिम का हिस्सा था. जिसमें, दांव लगाकर उन्होंने कमाया, गंवाया नहीं.
4- टीम में बदलाव/प्रयोग- विराट कोहली ने टीम में अमित मिश्रा को भी मौका दिया जिन्हें धोनी ने मेनस्ट्रीम से अलग रखा हुआ था. जिस तरह से उन्होंने गौतम गंभीर को टेस्ट में खिलाया और तमाम मैचों में खिलाड़ियों को लेकर पारंपरिक अनकहे नियम को हटाकर फैसले लिए, उससे भी निवेश के ही एक नियम का संकेत मिलता है. एक अच्छा निवेशक उसे कहा जाता है जो अपने पोर्टफोलियो में प्रॉपर्टी, इक्विटी और कुछ सेफ कहे जाने वाले फंड्स-सभी- का समावेश करता है. वह पूरा पैसा शेयर मार्केट में एकसाथ नहीं लगाता बल्कि एक निश्चित प्रतिशत ही मार्केट के लिए रखता है.
5- स्थिति के अनुसार समन्यवय करना, फैसले लेना- विराट कोहली देश विदेश की परिस्थितियों के अनुसार टीम और खेल संबंधी फैसले लेते हैं. किस पिच पर किस खिलाड़ी का खेल पहले चमका है और किसने किस मैदान पर बाजी लगाई है, उसके मुताबिक कोहली फैसले लेते हैं. निवेश करते समय भी यही बात गौरतलब फरमाई जाती है. आप बाजार में उड़ रही अफवाहों के आधार पर नहीं बल्कि गहन अध्ययन, स्टॉक या फंड का पिछला रिकॉर्ड देखते हुए ही पैसा लगाते हैं, तभी कमाई कर पाते हैं.