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500 और 1000 रुपए के 18 बिलियन नोटों का आरबीआई यह इस्तेमाल करेगा...

विमुद्रीकरण के ऐलान के बाद से 18 बिलियन 500 और 1000 रुपए के नोट, जिनकी कीमत 14 लाख करोड़ रुपए है, चलन से बाहर होने के बाद एकत्र हो चुके हैं. सरकारी सूत्रों का कहना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, प्रिंटिंग प्रेस और करंसी इश्यू करने वाले के पास इन नोटों के रूप में अब महज कागज हो चुके नोटों का ढेर लग चुका है और इसका इस्तेमाल रिसाइक्लिंग के लिए किया जाएगा.
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NDTV Profit हिंदी05:09 PM IST, 30 Nov 2016NDTV Profit हिंदी
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पुराने नोट देश के पेट्रोल पंपों और कुछ विशेष सरकारी संस्थानों में 15 दिसंबर तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं. साथ ही, दिसंबर माह के अंत तक इन्हें बैंकों में जमा करवाया जा सकता है. आप सोच रहे होंगे कि काले धन की धरपकड़ और भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को बैन किए 500 और 1000 रुपए के इन इकट्ठा हुए नोटों का आखिर किया क्या जाएगा?

विमुद्रीकरण के ऐलान के बाद से 18 बिलियन 500 और 1000 रुपए के नोट, जिनकी कीमत 14 लाख करोड़ रुपए है, चलन से बाहर होने के बाद एकत्र हो चुके हैं. सरकारी सूत्रों का कहना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, प्रिंटिंग प्रेस और करंसी इश्यू करने वाले के पास इन नोटों के रूप में अब महज कागज हो चुके नोटों का ढेर लग चुका है और इसका इस्तेमाल रिसाइक्लिंग के लिए किया जाएगा.

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आरबीआई की कई शाखाओं में इन नोटों के छोटे-छोटे टुकड़े किए जा रहे हैं. बैंक पुराने नोटों के बंडलों के ढेर इन शाखाओं में भेजेंगे और वहां इन्हें छोटी-छोटी पट्टियों के रूप में रीसाइकल कर दिया जाएगा. इनमें से ज्यादातर नोटों की लुगदी बनाकर, कंप्रेस करके ईंटनुमा शक्ल दे दी जाएगी. इनका इस्तेमाल ऑफिस स्टेशनरी जैसे कि कैलेंडर, पेपर वेट, फाइलें और बोर्ड बनाने में भी किया जाएगा.

केंद्रीय बैंक के लिए भी यह नोटों का निपटाने का अपेक्षाकृत नया तरीका है. 2001 तक पुराने या रद्द हो चुके करेंसी नोटों को जला दिया जाता था. हालांकि बाद में ज्यादा केंद्रीय बैंक गंदे हो चुके नोटों का इस्तेमाल ईंटनुमा गठ्ठर बनाने में करते हैं. नोटों को काट-काटकर इन्हें कंप्रेस कर दिया जाता है और इन्हें कठोर रूप दे दिया जाता है. वैसे तो ये किसी भी साइज़ के बनाए जा सकते हैं लेकिन आम तौर पर इन्हें बेलनाकार (सिलेंडर जैसे) आकार में ढाला जाता है. कई बार ये विशाल ईंटनुमा आकार  काफी बड़े भी हो जाते हैं और इनका वजन 600 किग्रा प्रति क्यूबिक मीटर तक हो सकता है.

2012 में, नोटों की इन ईंटों का इस्तेमाल हंगरी में ईंधन के रूप में किया गया था. हंगरी में गरीब लोगों को कड़कड़ाती सर्दी से बचाने के लिए उन्हें तापने के लिए ये ईंटें मुहैया करवाई गई थीं.

सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी की नोट बैन संबंधी घोषणा से काफी पहले ही आरबीआई ने इन पुराने को 'डील' करने की तैयारी शुरू कर दी थी. केरल के कन्नूर स्थित एक प्लाइवुड कंपनी को इससे जुड़े पायलट प्रोजेक्ट के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था. इस कंपनी को कुछ विशाल बैगों में भरकर 500 और 1000 रुपए के नोट लुगदी बनाने के लिए भेजे गए हैं.

इस कंपनी ने अब आरबीआई से करार भी कर लिया है जिसके तहत वह 40 टन कटे-छटे नोटों को प्रति टन 250 रुपए के रेट पर प्रोसेस करेगी. इन नोटों का लकड़ी के महीन चकत्तों के साथ मिश्रित किया जाएगा और फिर इन्हें भारी प्रेस के नीचे से गुजारा जाएगा.

नोटों की इन ईंटों को मोटे तौर पर उद्योगों को टेंडर निकालकर बेचा जाएगा. ये ईंटे प्रति किलो 5 रुपए से 6 रुपए की पड़ेंगी. वैसे बता दें कि आरबीआई गंदे या सड़गल चुके नोटों की सफाई नियमित रूप करता रहता है. केंद्रीय बैंक जांच पड़ताल के बाद इन नोटों की कांट-छांट करता है और जो नोट इस्तेमाल के योग्य नहीं रह जाते, उन्हें करेंसी वेरिफिकेशन और प्रोसेसिंग सिस्टम या सीवीपीएस के तहत डिस्पोज़ कर दिया जाता है. बता दें कि हर महीने हजारों करोड़ करेंसी नोट चलन से बाहर हो जाते हैं.

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