थोक मुद्रास्फीति जुलाई में घटकर पांच महीने के न्यूनतम स्तर 5.19 प्रतिशत पर आ गई। मुख्यतौर पर खाद्य उत्पादों, सब्जियों और प्रोटीन युक्त उत्पादों की कीमत घटने के कारण मुद्रास्फीति में गिरावट आई है।
मुद्रास्फीति एक महीना पहले जून में 5.43 प्रतिशत पर थी, जबकि एक साल पहले जुलाई में 5.84 प्रतिशत पर थी।
थोकमूल्य सूचकांक में 14 प्रतिशत का योगदान करने वाले खाद्य उत्पाद खंड में मुद्रास्फीति 8.43 प्रतिशत रही। एक महीना पहले जून में यह 8.14 प्रतिशत थी।
थोकमूल्य सूचकांक के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सालाना स्तर पर जुलाई में सब्जियां 1.27 प्रतिशत सस्ती हुईं और प्याज 8.13 प्रतिशत सस्ता हुआ।
हालांकि, आलू की कीमत जुलाई में 46.41 प्रतिशत बढ़ी जबकि फल इस महीने 31.71 प्रतिशत मंहगे हुए। दूध की कीमत 10.46 प्रतिशत बढ़ी।
जुलाई में अंडे, मांस-मछली 2.71 प्रतिशत मंहगे हुए जबकि पिछले महीने इन उत्पादों की कीमत 10.27 प्रतिशत बढ़ी थी।
जुलाई माह में दलहन के थोक भाव 3.31 प्रतिशत बढ़ गए, जबकि अनाज की कीमत 4.46 प्रतिशत बढ़ी। इधर, चावल की कीमत 6.85 प्रतिशत और गेहूं 1.02 प्रतिशत महंगे हुए।
विनिर्मित उत्पादों की मंहगाई दर 3.67 प्रतिशत बढ़ी जबकि फाइबर, तिलहन और खनिज समेत गैर-खाद्य उत्पाद 3.32 प्रतिशत महंगे हुए। ईंधन और बिजली समूह की मंहगाई दर हालांकि पिछले महीने 7.40 प्रतिशत कम रही।
इस बीच मई की थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति का आंकड़ा संशोधित कर 6.18 प्रतिशत कर दिया गया, जो अस्थाई आकलन के मुताबिक, 6.01 प्रतिशत था।
रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में आगाह किया था कि मानसून की अनिश्चितता का खाद्य मुद्रास्फीति पर असर हो सकता है, लेकिन उम्मीद जाहिर की थी कि आने वाले महीनों में सरकारी नीति से आपूर्ति सुधरेगी। इस सप्ताह जुलाई माह के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए गए थे, जो मामूली बढ़कर 7.96 प्रतिशत रही।