तबीयत ठीक न होने पर भी नहीं मानी हार, पाया UPSC सिविल सेवा परीक्षा में चौथा स्थान

अतुल का कहना है कि पिता की ट्रांस्फ़रेबल जॉब होने के कारण उनकी शिक्षा काफी जगह हुई जिससे उनके व्यक्तित्‍व में काफी निखार आया.

तबीयत ठीक न होने पर भी नहीं मानी हार, पाया UPSC सिविल सेवा परीक्षा में चौथा स्थान

अपने परिवार के साथ अतुल प्रकाश (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली:

अतुल प्रकाश की कहानी उस जज़्बे की है जो हारने में यकीन नहीं रखता. एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए अतुल को उनके जीवन में उनके पिता ने बहुत प्रभावित किया है. इनके पिता अशोक राय रेलवे में इंजीनियर हैं. वे आरा के रहने वाले हैं. अतुल का कहना है कि पिता की ट्रांस्फ़रेबल जॉब होने के कारण उनकी शिक्षा काफी जगह हुई जिससे उनके व्यक्तित्‍व में काफी निखार आया. अतुल जब भी कभी किसी बच्चे को ट्रैफिक सिग्नल पर देखते थे तो वो सोचने लगते थे कि कैसे वो उन बच्चों की ज़िन्दगी में सुधार ला सकते हैं और उन्हें शिक्षा प्रदान कर सकते हैं. परन्तु कभी उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा के बारे में नहीं सोचा जब तक वो कॉलेज में नहीं आये थे. उनके मन में ख्याल आया कि अगर वो उन बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं तो उन्हें उस सिस्टम का पार्ट बनना पड़ेगा और उन्होंने फिर पूरी लगन के साथ तैयारी की. अतुल ने प्रथम प्रयास में सफलता भी हासिल कर ली और उन्‍हें इंडियन रेलवे पर्सनल सर्विस मिली थी क्योंकि उनकी रैंक ज्यादा अच्छी नहीं थी.

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परन्तु अतुल तो एक आईएएस अफसर का सपना आंखों में लिए बैठे थे. इसलिए उन्होंने अपने स्वास्थ्य की भी चिंता नहीं की और तैयारी में फिर से जी जान से जुट गए. अतुल ने काफी खराब तबीयत में भी परीक्षा दी और चौथी रैंक भी प्राप्त की.

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जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने 2016 की परीक्षा में क्या गलती की थी जो इस बार नहीं की और सफतलता हासिल की, तो उन्होंने बताया कि अगर आप इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आपको उत्तर लिखने की बहुत ज्यादा प्रैक्टिस करनी चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा पहलु जोड़ सकें और अच्छे अंक प्राप्त कर सकें.

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अतुल की एक बहन भी हैं जो की सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और नौकरी कर रही हैं. अतुल आईएएस अफसर बनकर सरकारी स्कूलों की शिक्षा का स्तर सुधारना चाहते हैं ताकि उन बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों जैसी शिक्षा मिल सके और वो बच्चे भी अपने को किसी से काम न समझें. अतुल की कहानी हमें ये सीख देती है कि अगर आप निरंतर प्रयास करते रहें तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. और ये भी कभी नहीं भूलना चाहिए कि एक  सपना जादू से हकीकत नहीं बन सकता. इसमें पसीना, दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत लगती है.

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