टॉप 25 रैंक हासिल करने वालों में आठ महिलाएं भी शामिल हैं.
खास बातें
- टॉप 25 रैंक हासिल करने वालों में आठ महिलाएं भी शामिल हैं
- अनु कुमारी को महिलाओं की रैंकिंग में रैंक-1 मिला है
- सौम्या शर्मा को रैंक-2 मिला है
नई दिल्ली: सिविल सेवा परीक्षा 2017 में टॉप 25 रैंक हासिल करने वालों में आठ महिलाएं भी शामिल हैं. एनडीटीवी ने देश के सबसे ताकतवर कार्यपालिका में एंट्री ले रहीं इन "पिंक पावर्स" से बात की और उनके सपनों को सफलता में बदलने की उनकी ज़िद और जद्दोजहद की कहानी जानने की कोशिश की. तो आइये एक-एक कर जानते हैं इनकी सफलता की कहानी के बारे में.
अनु कुमारी, रैंक-1
महिलाओं में रैंक-1 और सभी मिलकर रैंक-2 हासिल करने वाली अनु कुमारी के बारे में हम अब तक काफी कुछ जान चुके हैं. हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली अनु ने अपनी तैयारी के दौरान जैसे अपनी ममता को लॉकर में बंद कर दिया था. तैयारी के दौरान उनका ध्यान न भटके, इसलिए उन्होंने अपने चार साल के बेटे से वीडियो चैट करना बंद कर दिया था. दिल्ली यूनिवर्सिटी के बेहद प्रतिष्ठित हिन्दू कॉलेज से फिजिक्स में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने MBA भी किया और फिर आठ साल नौकरी. लेकिन फिर दिल में सिविल सर्विसेज में जाने का सपना आया और वो सब कुछ छोड़छाड़ कर अपनी मौसी के गांव चली गईं, जहां अख़बार भी नहीं आता. पर इंटरनेट उनके लिए लाइफ लाइन थी. अनु को बचपन से पढ़ाई का बेहद शौक था और एक दिलचस्प वाक़्या बतातीं हैं कि कैसे एक बार स्कूल के दिनों में एक बार वो पढ़ने में इस तरह खो गईं कि दीये से उनके बाल में आग लग गईं. सिविल सेवा में जाकर वो महिलाओं और पिछड़ों की आवाज़ बनना चाहती हैं.
सौम्या शर्मा, रैंक-2लड़कियों में नंबर-2 और ओवरऑल 9वीं रैंक हॉल करने वाली सौम्या शर्मा वैसे तो एक समृद्ध डॉक्टर माता-पिता की बेटी हैं, लेकिन सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने की उनकी ज़िद में आप अपने लिए प्रेरणा ढूंढ सकते हैं. सिर्फ चार महीने की तैयारी कर सिविल सेवा परीक्षा में रैंक 9 हासिल करना आपने आप में प्रेरणा का विषय है, लेकिन ये तो सिर्फ अधूरी बातें हैं. सौम्या ने एनडीटीवी को बताया कि जब मेंस की परीक्षा चल रही थी, तब उन्हें तेज़ बुखार था. दिन में तीन बार उन्हें ड्रिप चढ़ाई जाती थी और हां इसमें ड्रिप का वो वक़्त भी शामिल था, जब लंच ब्रेक के दौरान परीक्षा हॉल से बहार आतीं थी. बस राहत की बात ये थी कि मां और पिता दोनों डॉक्टर थे जो उस खास वक़्त में सौम्या के लिए किसी किस्मत की बात थी. वैसे भी सपने को हासिल करने की ज़िद के आगे तो किस्मत भी साथ हो ही जाती है.
आशिमा मित्तल, रैंक-3
लड़कियों में तीसरा और ओवरऑल 12वां रैंक हासिल करने वाली आशिमा मित्तल ने समाज को अपना बेहतरीन देने के लिए ब्यूरोक्रेसी में जाने का इंतज़ार नहीं किया. प्रोफेसर माता-पिता की बेटी आशिमा को भी पढ़ने-पढ़ाने का शौक़ है. स्वभाव से हर वक़्त आपकी सहायता को तैयार दिखने वाली आशिमा ने एनडीटीवी को बताया कि वो अपनी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान अपना कुछ वक़्त निकल कर स्कूली बच्चों को पढ़ाया करतीं थीं. जयपुर की रहने वाली आशिमा फिलहाल नागपुर में इंडियनरे वेन्यू सर्विस की ट्रेनी अफसर हैं और अभी से आप उनमें समाजसेवा के लिए तैयार होते भविष्य के कलेक्टर को देख सकते हैं.
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डॉक्टर नेहा जैन, रैंक-4
लड़कियों में चौथा और ओवरऑल चौदह रैंक पाने वाली नेहा जैन पेशे से एक डेंटिस्ट हैं. नेहा एक सामान्य-माध्यम वर्गीय परिवार की हैं. बचपन से पढ़ने में मेधावी रही नेहा पढ़ाकू किस्म की लड़की रहीं हो ऐसा नहीं है. स्वभाव से अपनी मां की तरफ बेहद सरल किस्मकी दिखने वाली नेहा बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं. राष्ट्रीय स्तर की जिम्नास्ट और भरतनाट्यम की कलाकार रहीं नेहा ने एनडीटीवी कोबताया कि पढ़ाई के अलावा उन्हें अपनी इन बातों के लिए सिविल सेवा परीक्षा के इंटरव्यू में काफी फायदा मिला. नॉवेल पढ़ने की शौक़ीन नेहा कहतीं हैं कि जो लोग सोचते हैं कि केवल पढ़ाई से ही वो इस परीक्षा को क्रैक कर सकते हैं तो उनके लिए मैं ये कहना चाहूंगी कि अपने शौक़ पूरे करने के साथ अगर आप पढ़ाई करते हैं तो शायद आप और अच्छा करेंगे.
शिवानी गोयल, रैंक-5
लड़कियों में पांचवीं और ओवरऑल 15वां रैंक हासिल करनेवाली शिवानी गोयल दिल्ली के इलीट परिवार से आतीं हैं. बचपन से पढ़ने में मेधावी शिवानी की स्कूल की पढ़ाई बाल भारती से हुई और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित श्री राम कॉलेज ऑफ़कॉमर्स से उन्होंने बीकॉम की पढ़ाई की. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में काम करने वाले शिवानी के पिता हमेशा से चाहते थे की उनकी बेटी सिविल सर्विसेज में जाये. एनडीटीवी से बातचीत में शिवानी बतातीं हैं कि उन्हें अपने पिता के सपनों का एहसास था पर उम्रकम होने की वज़ह से उन्हें ग्रेजुएशन के बाद भी एक साल काइंतज़ार करना पड़ा और फिर दूसरी कोशिश में उन्होंने ये सफलता हासिल की. शिवानी बतातीं हैं कि एक ब्यूरोक्रेट के तौर पर सरकारी स्कूलों में सुधार लाना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी.
शिखा सुरेंद्रन, रैंक-6
केरल में एर्नाकुलम के एक छोटे से गांव में पली-बढ़ी शिखा सुरेंद्रन ने इस साल सिविल सेवा परीक्षा में महिलाओं में रैंक 6 और ओवरऑल 16वां रैंक हासिल किया है. आर्थिक तंगी में पली-बढ़ी शिखा को बचपन में ही पिता ने बताया था कि अगर हमेंबे हतर जीवन चाहिए तो पढ़ाई ही एक मात्र रास्ता है. अनु कुमारी की तरफ शिखा ने भी सिविल सेवा परीक्षा की अपनी तैयारी गांव में ही की हालांकि वो शुरूवाती दौर में वो तैयारी के लिए दिल्ली आई थीं पर यहां के माहौल में वो सामंजस्य नहीं बिठा पाई और अपने गांव लौट गईं. शिखा ने अपनी पढ़ाई के लिए ऑनलाइन रिसोर्सेज का खूब लेकिन चुनिंदा इस्तेमाल किया. सिविल इंजीनियरिंग से बीटेक कर चुकीं शिखा ने एनडीटीवी से बातचीत में अपनी सफलता का राज़ स्मार्ट स्टडी को बताया. ब्यूरोक्रेसी में जाकर शिखा वीमेन एम्पावरमेंट को लेकर कुछ खास करना चाहतीं हैं.
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अभिलाषा अभिनव, रैंक-7
रिटायर्ड आईपीएस की बेटी अभिलाषा अभिनव फिलहाल इंडियनरेवेन्यू सर्विस की ट्रेनी ऑफिसर हैं. अभिलाषा को इस साल सिविल सेवा परीक्षा में महिलाओं में सातवां और ओवरऑल 18वां रैंक मिला है. झारखण्ड के बोकारो और फिर मुंबई में पढ़ाई करचु कीं अभिलाषा को जब पहली नौकरी आइबीएम में मिली लेकिन लंदन जाकर नौकरी करने के बजाय उन्होंने देश में ही रह कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया. दोस्तों ने मजाक भी बनाया पर इस आईपीएस की बेटी के मन कुछ और था. उन्होंने पहले एक प्राइवेट नौकरी की फिर सरकारी बैंक में ऑफिसर की नौकरी. पर मां को अपनी बेटी की शादी की चिंतासता रहीं थी और फिर आईएएस ऑफिसर के रिश्ते आएं तो मां तोभला कैसे चुप रह सकती है सो उन्होंने बेटी को खूब समझाया किबेटा शादी कर लो. पर अभिलाषा की अभिलाषा तो कुछ और थी. उन्होंने मां से कहा चलो मैं भी आईएएस बन कर दिखाउंगी. अभिलाषा ने बैंक की नौकरी करते हुए पहले सिविल सेवा कीपरीक्षा दी और पहली कोशिश में उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस मिला और दूसरी कोशिश में अपना और मां का सपना आईएएस.
तपस्या परिहार, रैंक-8
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर के एक समृद्ध किसान की बेटी तपस्या नेभी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता के लिए खूब तपस्या की.लड़कियों में आठवीं और ओवरऑल 23वां रैंक हासिल करने वाली तपस्या परिहार को उनके सोशल वर्कर चाचा ने सिविल सेवापरीक्षा में जाने के लिए प्रेरित किया. संयुक्त परिवार की दुलारी और पढ़ाकू बेटी को जब इंजीनियरिंग में अच्छी रैंक नहीं मिली तो सबने उसे कानून पढ़ने के लिए प्रेरित किया. तपस्या ने एनडीटीवी को बताया कि कानून की पढ़ाई पूरी भी हो गई लेकिन उन्होंने कैंपस प्लेसमेंट नहीं लेने का फैसला किया और फिर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली आ गईं. यहां उन्होंने कोचिंग ली पर उस साल वो एग्जाम निकाल नहीं सकी. अगली बार उन्होंने सेल्फ स्टडी का सहारा लिया और तपस्या सफल रही.