रैंकिंग में क्यों नहीं जगह बना पाए DU के बहुत से टॉप कॉलेज, ये रही वजह

रैंकिंग में क्यों नहीं जगह बना पाए DU के बहुत से टॉप कॉलेज, ये रही वजह

सरकार ने सोमवार को विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की इस वर्ष की रैंकिंग की घोषणा की. छह श्रेणियों के तहत जारी सूची में जहां आईआईएससी बेंगलुरू, कई आईआईटी और आईआईएम शीर्ष दस संस्थानों में शामिल हुए वहीं महत्वपूर्ण संस्थानों के बजाए कुछ औसत दर्जे के कॉलेजों के सूची में आने से हैरानगी हुई. डीयू के बहुत से टॉप कॉलेज इस लिस्ट से नदारद थे. दरअसल बहुत से ऐसे मशहूर कॉलेज जिनका नाम आप इस लिस्ट में तलाश रहे थे उन्होंने इस रैंकिंग में हिस्सा ही नहीं लिया था.

इन प्रतिष्ठित कॉलेजों ने रैंकिंग की प्रक्रिया में हिस्सा ही नहीं लिया
सेंट स्टीफंस, रामजस, वेंकटेश्वर और हिंदू कॉलेज सहित दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ महत्वपूर्ण कॉलेजों ने प्रक्रिया (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) में हिस्सा नहीं लिया वहीं आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज को एलएसआर कॉलेज और कोलकाता के सेंट जेवियर से उपर श्रेणी में स्थान दिया गया है. दिल्ली के जिन अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों ने आवेदन नहीं किया था उनमें हंसराज, किरोड़ीमल, जीसस एंड मेरी, कमला नेहरू, श्री गुरू तेग बहादुर खालसा, दौलत राम कॉलेज और गार्गी कॉलेज प्रमुख हैं.

इस बार कुल 2995 संस्थानों ने रैंकिंग में हिस्सा लिया जबकि पिछली बार 3563 कॉलेजों ने भागीदारी की थी.

किरोड़ी मल कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य दिनेश खट्टर ने कहा, ‘‘हम प्रक्रिया का हिस्सा बनना पसंद करते लेकिन राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (एनएएसी) के निरीक्षण में व्यस्त थे और आवेदन के लिए काफी काम करना पड़ता. हम अगले वर्ष से आवेदन करेंगे.’’ एचआरडी मंत्रालय के अधिकारियों ने एनआईआरएफ के तहत कड़े नियमों को भागीदारी में कमी का कारण बताया.

एचआरडी मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘रैंकिंग में भाग लेने वालों के लिए काफी कड़े मानक हैं. संस्थानों को आधारभूत संरचना की उपलब्धता, विकास योजनाओं आदि के बारे में हलफनामा पेश करना होता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कम भागीदारी का यह कारण हो सकता है. साथ ही एनआईआरएफ के तहत विश्लेषण के लिए मांगे गए आंकड़े कई संस्थान नहीं रखते, इसलिए आने वाले समय में वे भागीदारी कर सकते हैं.’’

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने कहा, ‘‘पिछले संस्करण में रैंकिंग मानकों में कुछ खामियां थीं लेकिन सरकार ने इस वर्ष उसमें सुधार किया है. बहरहाल अगर प्रमुख संस्थान इसमें शिरकत नहीं करते हैं तो निश्चित रूप से उनकी रैंकिंग का निर्णय किया जाएगा जिन्होंने इसमें हिस्सा लिया है लेकिन यह स्पष्ट तस्वीर पेश नहीं करता.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोई स्कूली छात्र जो एक दो वषरें में कॉलेज में जाएगा, अगर वह सूची देखता है तो वह एएसआरडी कॉलेज के लिए संघर्ष करेगा और स्टीफन को ‘नकार’ देगा. यह कितना भ्रामक है?’’ (इनपुट एजेंसी से)
 


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