ये हैं एपीजे अब्दुल कलाम के 5 वैज्ञानिक योगदान, इसलिए कहलाए जाते हैं मिसाइलमैन

मिसाइलमैन और भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की आज जयंती है. अब्दुल कलाम की उपलब्धियों के बारे में हर कोई वाकिफ हैं. कलाम ने न केवल मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में अपना योगदान दिया, बल्कि उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र  में काफी योगदान दिया है.

ये हैं एपीजे अब्दुल कलाम के 5 वैज्ञानिक योगदान, इसलिए कहलाए जाते हैं मिसाइलमैन

एपीजे अब्दुल कलाम

नई दिल्ली:

मिसाइलमैन और भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की आज जयंती है. अब्दुल कलाम की उपलब्धियों के बारे में हर कोई वाकिफ हैं. कलाम ने न केवल मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में अपना योगदान दिया, बल्कि उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र  में काफी योगदान दिया है. आइए उनकी  89वीं जयंती पर जानते हैं उनके पांच साइंटिफिक योगदान के बारे में.

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति बनने से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में देश के विकास में योगदान दिया है. एक एयरोस्पेस वैज्ञानिक के रूप में, कलाम ने भारत के दो प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनों - रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ काम किया. हालांकि, स्वदेशी निर्देशित मिसाइलों- AGNI और PRITHVI के विकास और संचालन में उनके काम ने उन्हें ''भारत के मिसाइल मैन '' की उपाधि से नवाज़ा था. इसी के साथ ऐसे कई तरीके हैं,  जिनसे कलाम ने साइंस एंड टेक्नोलॉजी में भारत की मदद की.


1. भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) को विकसित करने के लिए परियोजना का निर्देशन किया

1980 के दशक में, जब भारत ने स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) बनाने का सपना देखा था, उस समय डॉ अब्दुल कलाम ने ISRO में स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के विकास के लिए प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में 10 साल की कड़ी मेहनत थी. SLV-III ने जुलाई 1980 में पृथ्वी की कक्षा के निकट में रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक इंजेक्ट किया, जिसके बाद भारत स्पेस क्लब का विशेष सदस्य बना.


2.. बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास के लिए निर्देशित परियोजनाएं

भारत को बैलिस्टिक मिसाइल और लॉन्चिंग टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनाने के कारण ही एपीजे अब्दुल कलाम का नाम मिसाइल मैन पड़ा. देश की पहली मिसाइल कलाम की देख रेख में ही बनी थी. कलाम ने शैतान और वैलेंट की परियोजनाओं का भी नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य सफल एसएलवी कार्यक्रम के पीछे प्रौद्योगिकी का उपयोग करके बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करना था

अन्य परियोजनाओं के साथ मिशन कलाम के तहत, सदस्यों ने AGNI सहित कई मिसाइलें विकसित कीं जो एक मध्यवर्ती श्रेणी की बैलिस्टिक मिसाइल और PRITHVI है.

3. पोखरण में कई परमाणु परीक्षण किए गए

11 और 13 मई, 1998 के दिन भारत ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजस्थान के पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किए थे. उस समय एपीजे अब्दुल कलाम ने मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में  पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण का नेतृत्व करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी.  जिससे उन्हें उस समय देश के सर्वश्रेष्ठ परमाणु वैज्ञानिक के रूप में जाना जाता था. जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 की अवधि के दौरान कलाम की देखरेख में परमाणु परीक्षण ने भारत को परमाणु-सशस्त्र राज्य बना दिया था.

4. स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ बनाने में योगदान

हृदय रोग विशेषज्ञ सोमा राजू के साथ संयुक्त रूप से काम करते हुए, दिवंगत राष्ट्रपति ने एक लागत प्रभावी कोरोनरी स्टेंट '' कलाम-राजू स्टेंट '' विकसित किया, जो सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा सुलभ बनाने में मदद करता है.

5. ‘कलाम राजू टैबलेट' किया तैयार

कलाम ने डॉ. सोमा राजू के साथ मिलकर 2012 में 'कलाम-राजू टैबलेट' नामक छोटा लैपटॉप तैयार करवाया था, जो रूरल हैल्थ केयर के लिए तैयार किया गया था. जिसका मुख्य उद्देश्य  देश के ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य देना था.

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