दुनिया भर में हर तीन में से एक लड़की को नहीं मिल पाता स्कूल जाने का मौका, ये है वजह

यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा फोर ने कहा कि दुनिया भर के देश अपने यहां के गरीब छात्रों को फेल कर देते हैं और उस तरह से ये देश खुद को फेल कर रहे हैं.

दुनिया भर में हर तीन में से एक लड़की को नहीं मिल पाता स्कूल जाने का मौका, ये है वजह

यूनीसेफ के मुताबिक दुनिया भर में हर तीन लड़कियों में से एक लड़की को स्कूल जाने का मौका नहीं मिल पाता है.

खास बातें

  • यूनीसेफ ने लड़कियों की शिक्षा को लेकर दी है जानकारी
  • गरीब घर की तीन लड़कियों में से एक को स्कूल जाने का मौका नहीं मिलता
  • गरीब बच्चों की शिक्षा पर खर्च करने से कतरा रहे हैं देश
नई दिल्ली:

दुनिया भर में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. यूनीसेफ के मुताबिक दुनिया भर में गरीब घरों की हर तीन लड़कियों (10 से 19 साल आयु)  में से एक लड़की को स्कूल जाने का मौका नहीं मिल पाता है. एजुकेशन वर्ल्ड फोरम के मंच पर यह बात कही गई है. यूनीसेफ ने एक बयान में कहा कि गरीबी, जेंडर आधारित भेदभाव, डिसएबेलिटी, एथनिक ओरिजिन या भाषा, स्कूल से दूरी, स्कूलों में बुनियादी चीजों की कमी जैसी रुकावटें गरीब घरों के बच्चों को आज भी शिक्षा हासिल करने से रोकती हैं. आगे कहा गया है कि विश्व भर में बच्चे इसलिए पढ़ नहीं पाते हैं क्योंकि शिक्षा के हर पड़ाव पर बेदखल किए जाने से गरीबी की स्थिति हमेशा बरकरार रहती है.

यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा फोर ने कहा कि दुनिया भर के देश अपने यहां के गरीब छात्रों को फेल कर देते हैं और उस तरह से ये देश खुद को फेल कर रहे हैं. जहां एक ओर सार्वजनिक क्षेत्र में शिक्षा पर सारा खर्च अमीर घरों की शिक्षा पर खर्च किया जाता है वहीं गरीब घर के बच्चों को हमेशा गरीबी में रहने के लिए छोड़ दिया जाता है. जरूरी कौशल न होने के चलते गरीब घरों के बच्चे मुकाबला नहीं कर पाते हैं और न ही देश की अर्थव्यवस्था में योगदान ही दे पाते हैं.

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42 देशों से प्राप्त आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि देश गरीब बच्चों की शिक्षा पर खर्च करने के मुकाबले अमीर घर के बच्चों की शिक्षा पर दोगुना खर्च करते हैं.अफ्रीकी देशों में शिक्षा पर खर्च में अमीरी और गरीबी का फासला ज्यादा बड़ा है. 10 अफ्रीकी देशों से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक अफ्रीकी देशों में अमीर घरों के बच्चों पर गरीबों की तुलना में चार गुना अधिक खर्च किया जाता है.

हालांकि कुछ देश ऐसे भी हैं जो बच्चों की शिक्षा के मामले में अमीर और गरीब घरों के बच्चों पर एक समान ही खर्च करते हैं. इन देशों में बार्बाडोस, डेनमार्क, आयरलैंड, नॉर्वे, स्वीडन जैसे देशों के नाम शामिल हैं. पेपर में कहा गया है कि गरीब बच्चों के लिए संसाधनों की कमी से दुनिया भर में बच्चे शिक्षा से मोहताज रह जा रहे हैं.

विश्व बैंक की मानें तो निम्न और मध्य आय वाले देशों के आधे से ज्यादा बच्चे प्राथमिक स्तर की शिक्षा के बाद भी पढ़ नहीं सकते हैं. पेपर में कहा गया है कि सरकारें फंड को इस तरह खर्च करें जिससे फंड का 20 फीसदी भी कम से कम 20 प्रतिशत गरीब बच्चों पर खर्च किया जा सके.

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पेपर में प्राथमिक शिक्षा पर सार्वजनिक खर्च को बढ़ावा देने की बात कही गई है क्याोंकि सबसे ज्यादा गरीब बच्चे प्राथमिक स्तर पर ही पढ़ते हैं. फोर ने कहा कि हम एक चिंताजनक स्थिति में हैं. अगर हम सही से निवेश करेंगे हम ज्यादा लोगों को गरीबी से बाहर निकाल सकेंगे.